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भारतीय जनता पार्टी का प्रारंभ से मत है कि चुनाव में बूथ का महत्व बहुत अधिक है और मतदान के दिन अगर निर्णायक कोई स्थान है तो वह बूथ ही है ।इसी लिए भाजपा में बार बार कहा जाता है : ‘बूथ जीता – चुनाव जीता’।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय जेपी नड्डा द्वारा अध्यक्ष बनने के बाद पूरे देश का 120 दिन का दौरा जब उत्तराखंड से शुरू किया गया तो उन्होंने अन्य कार्यक्रमों के मध्य एक महत्वपूर्ण बैठक बूथ स्तर पर की जिसमें भाजपा की राष्ट्रीय स्तर से लेकर बूथ स्तर की पाँचों संगठनात्मक इकाइयों के अध्यक्ष उपस्थित थे ।देहरादून में केंट विधानसभा क्षेत्र के बूथ संख्या 19 पर आयोजित इस बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष जी स्वयं और उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष और बूथ अध्यक्ष एक ही मंच पर उपस्थित थे ।इस बैठक की अध्यक्षता बूथ अध्यक्षा श्रीमती सोनिया वर्मा ने की ।यह एक ऐतिहासिक अवसर था ।इसके माध्यम से राष्ट्रीय अध्यक्ष ने एक बड़ा संदेश यह दिया कि पार्टी में सभी कार्यकर्ता महत्वपूर्ण है और सबसे छोटी इकाई बूथ का भी महत्व किसी से कम नहीं है ।यह आयोजन इसके माध्यम से दिया गया संदेश मूल रूप से संगठन को जमीनी स्तर पर और शक्तिशाली बनाने के लिए था । साथ ही जिस जिस प्रदेश में राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यक्रम बन रहा है उसमें यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।इससे साफ है कि पार्टी बूथ को कितना महत्व देती है ।
भाजपा में बूथ के महत्व को शक्ति केंद्रों की कार्यशाला को लेकर देहरादून में आयोजित एक बैठक में उत्तराखंड के प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजय कुमार के उस कथन से भी लगाया जा सकता है जिसमें उन्होंने कहा कि संगठन की बैठकों में कार्यकर्ता अपने परिचय में नाम व दायित्व के साथ अपने बूथ का भी जिक्र करें ।यह बात ऊपरी तौर पर सामान्य लग सकती है ।लेकिन इसका अर्थ बहुत गहरा है । इसका कारण यह है कि सभी स्तर के कार्यकर्ताओं जिनमें वरिष्ठ व कनिष्ठ सभी पदाधिकारी भी शामिल हैं को सामान्यतः अन्य जानकारियां तो रहती हैं लेकिन अपने बूथ की जानकारी स्मरण नहीं रहती। सच यह है कि अधिकांश लोगों को बूथ का स्मरण मतदान के समय ही आता है ।जबकि पार्टी की अपेक्षा है कि सभी स्तर के कार्यकर्ता अपने बूथों को लेकर भी लेकर भी सजग और सक्रिय रहे । मुझे लगता है कि अजय कुमार का यह कथन पार्टी की कार्यप्रणाली में बदलाव को लेकर भी एक संकेत है ।
इस समय भाजपा उत्तराखंड, प्रदेश में शक्ति केंद्र स्तर पर कार्यशालाओं का आयोजन कर रही है जिसमें मुझे भी जाने का अवसर प्राप्त हुआ है।पार्टी संगठन की दृष्टि से एक शक्ति केंद्र पर सामान्य रूप से तीन से चार बूथ शामिल होते हैं। इन कार्यशालाओं में बूथों के अध्यक्ष और बूथ के क्षेत्र में रहने वाले विभिन्न श्रेणियों के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को शामिल होने के लिए कहा जा रहा है ।उत्तराखंड में ये कार्यशालायें 3 जनवरी से प्रारंभ हो चुकी हैं और 10 जनवरी तक चलने वाले हैं । ये कार्यशालाएँ भी बूथ को मज़बूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वालीं होंगी। इनके माध्यम से बूथों के अंतर्गत पन्ना व्यवस्था भी शक्ति शाली होगी।
उत्तराखंड में वर्ष 2022 में विधान सभा चुनाव होने हैं। पार्टी ने 70 में से 60 सीटों पर विजय का लक्ष्य रखा है। बूथ को लेकर भाजपा की संवेदनशील कार्यप्रणाली से साफ़ है कि भाजपा नेतृत्व इस बात को मान कर चल रहा है विधानसभा चुनाव में भाजपा की विजय का रास्ता बूथों से ही हो कर गुजरेगा। जबकि अन्य दलों के नेता हवा में हैं।
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