स्वास्थ्य
एम्स अस्पताल ने पित्त के थैली पथरी का इलाज कर बचाई व्यक्ति की जान,
एम्स में पथरी के इलाज का जटिल ऑपरेशन सफल
Notice: Trying to access array offset on value of type bool in /home/kelaitgy/aajkaaditya.in/wp-content/themes/jannah/framework/classes/class-tielabs-filters.php on line 320
Notice: Trying to access array offset on value of type bool in /home/kelaitgy/aajkaaditya.in/wp-content/themes/jannah/framework/functions/media-functions.php on line 72
Notice: Trying to access array offset on value of type bool in /home/kelaitgy/aajkaaditya.in/wp-content/themes/jannah/framework/classes/class-tielabs-filters.php on line 320
Notice: Trying to access array offset on value of type bool in /home/kelaitgy/aajkaaditya.in/wp-content/themes/jannah/framework/functions/media-functions.php on line 72
भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के जनरल सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने एक ऐसे व्यक्ति की जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है,जिसके शरीर की बनावट सामान्य से एकदम विपरीत थी। उक्त व्यक्ति करीब एक साल से राज्य के कई नामी अस्पतालों में शल्य चिकित्सा के लिए चक्कर लगा चुका था, मगर किसी भी अस्पताल के चिकित्सक ने भी उनकी शरीर की आंतरिक बनावट को देखकर सर्जरी के लिए हामी नहीं भरी। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने शारीरिक बनावट के लिहाज से केस की जटिलता के बावजूद इस कार्य की सफलता के लिए चिकित्सकीय टीम की प्रशंसा की है। उन्होंने बताया कि एम्स में मरीजों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि संस्थान के सर्जरी विभाग में पेट की जटिल सर्जरी लैप्रोस्कोपी द्वारा तथा पेट के कई अंगों के कैंसर संबंधी कई उपचार भी सफलतापूर्वक किए जा रहे हैं। टिहरी निवासी गंगा दत्त (44) काफी समय से पित्त की थैली (गाल ब्लेडर) की पथरी से पीड़ित थे। उन्होंने करीब सालभर पहले इसकी जांच कराई जिसमें पित्त की थैली में पथरी की जानकारी मिली। इसके बाद से वह देहरादून के कई बड़े मेडिकल संस्थानों व नर्सिंग होम में पित्त की थैली के ऑपरेशन के लिए चक्कर लगा रहे हैं, मगर कहीं भी उन्हें राहत नहीं मिली न ही कोई चिकित्सक उनके ऑपरेशन के लिए तैयार हुआ। इसकी वजह उनकी शारीरिक बनावट में शरीर के अंगों का एकदम वितरीत स्थानों पर होना बताया गया। बताया गया कि करीब 10 से 20 हजार लोगों में से एक इंसान की शरीर की बनावट में इस तरह का अंतर मिलता है। जिसमें व्यक्ति के अंग उल्टी दिशा में होता है। चिकित्सकों के अनुसार इस केस में भी यही था। पेशेंट का पित्त की थैली व कलेजा बाईं ओर था, जबकि वह सामान्यत: दायीं ओर होता है। ऑपरेशन को अंजाम देने वाले शल्य चिकित्सक डा. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि पेशेंट की पित्त की थैली में पथरी व इन्फैक्शन की समस्या थी। जिसका पता उन्हें एक साल पहले चला था। जिसमें सामान्य मरीज में इस केस में दूरबीन विधि लैप्रोस्कोपी सर्जरी की जाती है। मगर मरीज के अंगों के निर्धारित स्थान की बजाए वितरीत दिशा में होने के चलते संभवत: चिकित्सकों ने सर्जरी के समय आने वाले दिक्कतों के मद्देनजर केस को नहीं लिया। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के दौरान मरीज की पित्त की थैली में अत्यधिक सूजन व मवाद भरी हुई थी,जिससे आसपास के अंग आंतें, चर्बी आदि पित्त की थैली पर चिपके हुए मिले। इससे यह सर्जरी और अधिक जटिल हो गई। मगर जटिलता के बावजूद इस सर्जरी को लैप्रोस्कोपी के द्वारा सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। चिकित्सक के अनुसार मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हैं, उन्हें बृहस्पतिवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। सफलतापूर्वक सर्जरी को अंजाम देने वाली टीम में डा. आषीकेश कुंडल, डा. श्रुति श्रीधरन, डा. मनोज जोशवा,डा. सिंधुजा,डा. भार्गव,डा. श्रीकांत,डा. दिवाकर आदि शामिल थे।
इंसेट 👍 यह थी इस सर्जरी में जटिलता सामान्यत: किसी भी व्यक्ति के पित्त की थैली, कलेजा आदि दायीं ओर होते हैं। ऐसा हजारों में से किसी एक व्यक्ति में होता है, जो कि भ्रूण के विकास के समय ही सारे अंग उल्टी दिशा में हो जाते हैं। चिकित्सकों के अनुसार नॉर्मल व्यक्ति में पित्त की थैली के दायीं ओर होने से चिकित्सक मरीज के बायीं ओर खड़े होकर सर्जरी का कार्य करते हैं, मगर इस केस में दायीं ओर खड़े होकर बायीं ओर बनी पित्त की थैली का ऑपरेशन करना पड़ा। जो कि तकनीकिरूप से अधिक चुनौतिपूर्ण व जटिल होता है। इससे ऑपरेशन के दैरान हैंड आई कॉर्डिनेशन को मेंटेन करना कठिन कार्य था।
Notice: Trying to access array offset on value of type bool in /home/kelaitgy/aajkaaditya.in/wp-content/themes/jannah/framework/classes/class-tielabs-filters.php on line 320