उत्तराखंड
मूलभूत सुविधाओं से वंचित क्यारा गांव
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देहरादून। आजादी के 7 दशक के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित गांव वासी अपनी बदहाली को रो रहे हैं। इस गांव की हकीकत ऐसी है कि यहां न चिकित्सा और शिक्षा के पर्याप्त इंतजाम हैं। न सड़क है। रोजगार की बात तो छोड़ ही दीजिए। हम बात कर रहे हैं राजधानी से महज 20 किलोमीटर दूर क्यारा गांव की। ये गांव मसूरी विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है। यहां के विधायक गणेश जोशी लगातार 15 सालों से इस विधानसभा क्षेत्र से जीतते चले आ रहे हैं। लेकिन इतने वर्षों में भी उनकी नजर इस गांव पर न जाना, बड़े ही दुर्भाग्य की बात है। यहां के लोग आज भी विकास की तरफ टकटकी ही लगा रहे हैं। गांव वासियों द्वारा कई बार विधायक को समस्या के बारे में बताया गया। लेकिन विधायक ने इन गांव वालों की बातों को अनसुना कर दिया। अब गांव वासियों की मदद के लिए समाज के कुछ लोग आगे आए हैं। उन्होंने इस गांव की पीड़ा को समझा है और गांव के विकास के लिए मदद करने आगे आए हैं।
बता दें कि, राजधानी से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर क्यारा गांव है। देहरादून से लोग पिकनिक मनाने तो यहां आते हैं, लेकिन गांव के विकास की ओर सरकार का ध्यान नहीं गया है।
गांव वासियों का कहना है की क्षेत्रीय विधायक ने आज तक इस गांव में आने-जाने के लिए सड़क नहीं बनवाई है। इस कारण ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अगर गांव में कोई बीमार हो जाता है तो उसे शहर से 108 एंबुलेंस की सेवा नहीं मिल पाती है। बीमार आदमी को जैसे-तैसे अपनी गाड़ी से ही इलाज के लिए अस्पताल ले जाना पड़ता है। सड़क की समस्या को लेकर गांव वासी कई बार विधायक को ज्ञापन दे चुके हैं लेकिन क्षेत्रीय विधायक गांव वालों का दर्द आज तक नहीं समझ सके। बुजुर्ग ग्रामीण का कहना है कि गांव में आने के लिए सड़क नहीं है. गांव में नाम के खंभे तो हैं लेकिन बिजली नहीं है। उनके द्वारा कई बार विधायक को ज्ञापन दिया गया है। लेकिन अधिकारी आते हैं और गांव का निरीक्षण करके वापस चले जाते हैं. गांव को आज तक बिजली तक नहीं मिल पाई है।
गांव में न चिकित्सा और शिक्षा के पर्याप्त इंतजाम हैं, न सड़क है। एक स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन पिछले चार साल से यह शुरू नहीं हो पाया है। आज भी केंद्र में ताला लगा हुआ है। केंद्र की इमारत तो बन गई है लेकिन इस स्वास्थ्य केंद्र में कोई डॉक्टर बैठने नहीं आया। अगर गांव में कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे देहरादून ले जाना पड़ता है। वहीं गांव के पूर्व बीडीसी का कहना है कि अभी तक ठेकेदार की पूरी धनराशि नहीं दी गई है, इसलिए यह स्वास्थ्य केंद्र संचालित नहीं हो पाया है। जब ठेकेदार का भुगतान हो जायेगा तब यह स्वास्थ्य केंद्र संचालित हो जायेगा। एक तरफ प्रधानमंत्री डिजिटल इंडिया की बात कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर देहरादून से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर इस गांव में मोबाइल के नेटवर्क नहीं आते हैं। इसका खामियाजा यहां के लोग भुगत रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान बंद हुए स्कूल के बाद स्कूली बच्चों की पढ़ाई नहीं हो सकी है। गांव के विकास की बात करें तो गांव के बच्चे आज भी 6 किलोमीटर पैदल चल कर स्कूल जाते हैं। इन बच्चों के लिए स्कूल जाने के लिए कोई साधन नहीं है। वहीं, देहरादून से गए समाजसेवी ने गांववासियों की बातें सुनकर अफसोस जताया।
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