धर्म-कर्म
13 अप्रैल से शुरू हो रही हैं चैत्र नवरात्रि : आचार्य घिल्डियाल
यह है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त नवरात्रि के पहले दिन होती है कलश स्थापना
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हिंदू सनातन धर्म के अनुसार, साल में 4 बार नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. इसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि मुख्य रूप से मनाई जाती है. इस बार चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से आरम्भ हो रही है और 21 अप्रैल को समाप्त होगी।
उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि हमारे सनातन धर्म में चैत्र मास के नवरात्र से ही नव संवत्सर प्रारंभ होता है इस बार राक्षस नाम का संवत्सर प्रारंभ हो रहा है जिसमें नवग्रहों के चुनाव में मंगल ग्रह राजा पद के आसन पर विराजमान हो रहे हैं
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. नौ दिन तक चलने वाले इस पावन पर्व में श्रद्धालु मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं और देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों को अलग-अलग चीजों का भोग लगाते हैं. इस क्रम में नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि का पहला दिन बहुत महत्व रखता है. इस दिन घटस्थापना यानी कलश स्थापना करने का विशेष महत्व है। पोराणिक कथाओं के अनुसार कलश को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है. इसलिए नवरात्रि के दिन देवी दुर्गा की पूजा से पहले कलश की स्थापना की जाती है.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त कलश की स्थापना चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को की जाती है. इस बार प्रतिपदा तिथि – 12 अप्रैल सुबह 08:00 बजे से प्रारंभ हो जाएगी और 13 अप्रैल सुबह 10:16 बजे तक रहेगी कलश स्थापना शुभ मुहूर्त- 13 अप्रैल सुबह 05:58 बजे से 10:14 बजे तक कुल अवधि- 4 घंटे 16 मिनट तक रहेगी
कलश स्थापना कैसे करें ज्योतिष में अंतरराष्ट्रीय हस्ताक्षर डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि स्थापना के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान आदि करके साफ कपड़े पहने. मंदिर की साफ-सफाई कर सफेद या लाल कपड़ा बिछाएं. इस कपड़े पर थोड़े चावल रखें. एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें. कलश पर स्वास्तिक बनाकर इसपर कलावा बांधें. कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखें. एक नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें. इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आवाहन करें. इसके बाद दीप आदि जलाकर कलश की पूजा करें. नवरात्रि में देवी की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश स्थापित करना चाहिए।
ज्योतिष में सटीक भविष्यवाणियों के लिए चर्चित आचार्य चंडी प्रसाद एक विशेष बात की तरफ इशारा करते हैं की मंगल भूमि पुत्र है वही राजा भी है और वही मंत्री भी है संवत्सर का नवग्रहों में वह सेनापति भी है इसलिए नवरात्रि से शुरू होकर 20 दिन के अंदर पृथ्वी पर हलचल भूकंप से भारी जान माल की हानि की प्रबल संभावना रहेगी इसलिए सभी लोगों को दत्त चित्त होकर मां दुर्गा की उपासना करनी चाहिए कि हमारे देश और विश्व पर किसी प्रकार का ऐसा संकट ना आए।
आचार्य का परिचय
नाम-आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल
पब्लिक सर्विस कमीशन उत्तराखंड से चयनित प्रवक्ता संस्कृत।
निवास स्थान- धर्मपुर चौक के पास अजबपुर रोड पर मोथरोवाला टेंपो स्टैंड 56 / 1 धर्मपुर देहरादून, उत्तराखंड।
मोबाइल नंबर-9411153845
उपलब्धियां
वर्ष 2015 में शिक्षा विभाग में प्रथम गवर्नर अवार्ड से सम्मानित वर्ष 2016 में। सटीक भविष्यवाणी पर उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत सरकार ने दी उत्तराखंड ज्योतिष रत्न की मानद उपाधि। त्रिवेंद्र सरकार ने दिया ज्योतिष विभूषण सम्मान। वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा की सबसे पहले भविष्यवाणी की थी। इसलिए 2015 से 2018 तक लगातार एक्सीलेंस अवार्ड प्राप्त हुआ। ज्योतिष में इस वर्ष 5 सितंबर 2020 को प्रथम वर्चुअल टीचर्स राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त किया। वर्ष 2019 में अमर उजाला की ओर से आयोजित ज्योतिष महासम्मेलन में ग्राफिक एरा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिया ज्योतिष वैज्ञानिक सम्मान।
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