उत्तराखंड
बहादराबाद टोल प्लाजा मारपीट मामला: सत्ताधारी बने सिरदर्द, कंपनी ने नितिन गडकरी से रोया दुखड़ा
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👉राजनीतिक दबाव में जांच अधिकारी का तबादला, कंपनी अधिकारियों को साजिश की आशंका
देहरादून, 12 अप्रैल। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी टोल प्लाजा को कमाई का जरिया बनाने के लिए नित नए प्रयोग कर रहे हैं। दूसरी ओर उत्तराखंड में सत्ता पक्ष के लोग ही नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाने में जुट गए हैं। हालात ये हैं कि राजनीतिक दखलंदाजी से आजिज आकर टोलप्लाजा पर शुल्क वसूली करने वाली कंपनी ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र भेजकर उत्तराखंड के कानून व्यवस्था और स्थानीय नेताओं की कलई खोल दी है। शिकायती पत्र की प्रति मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, डीजीपी, स्थानीय डीएम और एसएसपी की भी भेजी गई है। फिलहाल अभी कार्रवाई और संज्ञान में लेने का इंतजार है।
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क्या था मामला
देहरादून। मामला दरअसल हरिद्वार स्थित बहादराबाद टोल प्लाजा से जुड़ा हुआ है। यहां टोल प्लाजा का काम दातार मैन पावर एन्ड सेक्युरिटी सर्विसेज संभाल रही है। कंपनी का आरोप है कि 5 अप्रेल 2021 को करीब 1:30 कुछ स्थानीय लोग टोल प्लाजा आफिस में आ धमके और लाठी डंडों से कर्मचारियों को मारने लगे। इस दौरान कई कर्मचारियों को गंभीर चोटें आईं। इसके साथ ही महिला कर्मचारियों से भी अभद्रता की गई। कंपनी का दावा है कि इस उपद्रव में करीब 15 लाख की सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ।
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विधायक बना रहे अनैतिक दबाव
देहरादून। मारपीट और तोड़फोड़ की घटना के बाद दातार कंपनी के अधिकारियों ने हरिद्वार के एक विधायक पर गंभीर आरोप लगाया है। कंपनी ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भेजे पत्र में खुलासा किया है कि सत्ता पक्ष का एक कद्दावर नेता लगातार अनैतिक दबाव बनाता रहा है। यहां तक कि मारपीट के बाद कंपनी के अधिकारियों ने जब एफआईआर दर्ज करवाने की कोशिश की तो तहरीर वापस लेने के लिए भी दबाव बनाया गया। बात जिले के पुलिस कप्तान तक पहुँची तब जाकर क्रॉस एफआईआर दर्ज हो पाई। सत्ता पक्ष के विधायक को इस मामले में खास रुचि तब जाहिर हुई जब दबाव डालकर जांच अधिकारी का ही तबादला करवा दिया गया।
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कंपनी ने केंद्रीय मंत्री से की हस्तक्षेप की मांग
देहरादून। राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से केंद्रीय परियोजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं। इसकी बानगी हरिद्वार में देखी जा सकती है। हालात ये हो गए हैं कि टोल प्लाजा की व्यवस्था संभाल रही कंपनी के अधिकारी कर्मचारी दहशत के साये में काम करने को मजबूर हैं। कंपनी का कहना है कि राजनीतिक दखल की वजह से काम करना मुश्किल हो गया है। घटना से पूर्व भी लगातार धमकियां मिलती रहीं। इस बारे में कई बार जिम्मेदार अफसरों से पत्राचार भी हुआ। मांग की गई थी कि टोल प्लाजा पर पीसीआर वैन और पुलिस सुरक्षा दी जाए। इसके बावजूद कुछ नहीं हो पाया। कंपनी ने पत्र में लिखा है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद जानबूझकर सत्ता पक्ष के स्थानीय नेता ने थाना प्रभारी/जांच अधिकारी का स्थानांतरण करवा दिया। कंपनी ने मांग की है कि पुराने जांच अधिकारी से ही मामले की विवेचना करवाई जाए। अन्यथा निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है। फिलहाल अब भी पूरे मामले को सत्ता पक्ष के एक विधायक के दबाव में निपटाने की कोशिश हो रही है।
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