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देहरादून, 19 मई। ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा एंटी-फंगल ड्रग और एंफोटेरेसिन-बी के वितरण को लेकर उत्तराखंड सरकार ने कड़े कदम उठाते हुए ताकि दवा की ब्लैक मार्केटिंग ना हो उसके लिए उत्तराखंड सरकार ने एसओपी जारी कर दी है। एसओपी में यह साफ किया गया है कि यह दवा केवल जिला कोविड अस्पताल और सरकारी मेडिकल कॉलेज अथवा संस्थाओं को ही उपलब्ध कराई जाएगी।
उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के मामले लगातार सामने आने लगे हैं। मामले बढ़ते देख प्रदेश सरकार ने इसके इलाज के लिए पहले ही दवाओं का प्रोटोकाल जारी दिया है। ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एक दवा का नाम है एंफोटेरेसिन-बी। बता दें कि उत्तराखंड में इस दवा को बनाने की इकाई सिडकुल हरिद्वार में है, मगर अभी तक इसकी मांग न होने के कारण उक्त इकाई ने इसका उत्पादन बंद किया हुआ है। ऐेसे में उत्तराखंड सरकार ने केंद्र से एंफोटेरेसिन-बी की 50 डोज मांगी हैं। हालांकि, प्रदेश सरकार ने इसके साथ ही दवा बनाने वाली इकाई से भी दवा फिर से बनाने का काम शुरू करने को कहा है।
फिलहाल बाजार में दवा की कमी को देखते हुए इसका वितरण केवल जिला कोविड अस्पताल, सरकारी मेडिकल कालेज और संस्थानों में ही करने का निर्णय लिया गया है। वहीं, एसओपी के मुताबिक, प्रदेश में दवा के भंडारण और मांग की पूर्ति करने के लिए कुमाऊं में डॉ. रश्मि पंत और गढ़वाल में डॉ. कैलाश गुनियाल को नोडल बनाया गया है। इसी तरह अस्पतालों और अन्य संस्थाओं को कहा गया है कि वे दवा की मांग के बारे में दून मेडीकल कॉलेज के डॉ. नारायणजीत सिंह और कुमाऊं में हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के डॉ. एसआर सक्सेना से संपर्क करेंगे।
*दवा का सही इस्तेमाल का भी निर्देश*
एसओपी में ब्लैक फंगस के मामले बढ़ने पर चिंता जताई गई है और कहा गया है कि यह रोग कोविड-19 के संक्रमण में साथ-साथ उभर कर सामने आ रहा है। ऐसे में इस रोग की दवा का उचित इस्तेमाल किया जाना जरूरी है। इससे पहले ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए गठित समित ने भी अपने सुझाव सरकार को सौंपते हुए रोग के नियंत्रण के लिए पूरी तैयारी का सुझाव दिया था।
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