उत्तराखंड

आत्मनिर्भर भारत’ के लिए संकल्पबद्ध हों युवा पीढ़ी : प्रो. गणेशी लाल


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*KISS : कीस डीम्ड विश्वविद्यालय का प्रथम दीक्षांत समारोह संपन्न*

*👉राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल को डी.लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया*

*👉यह एक सपने के सच होने की कहानी है — डॉ. अच्युत सामंत*

भुवनेश्वरः कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (KISS) डीम्ड विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर की ओर से प्रथम दीक्षांत समारोह वर्चुअल मोड में 27 जून 2021 को आयोजित हुआ। दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए ओडिशा के राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल ने स्नातकों को बधाई दी और कहा कि आदिवासी समुदायों में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। बस जरूरत है सही माहौल, प्रोत्साहन और समय पर उन्हें तराशने की। उन्होंने स्नातकों को ‘वोकल फॉर लोकल’ को अपना संकल्प बनाने और अपनी भागीदारी और प्रयासों से ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने में योगदान देने का आह्वान किया।

प्रो. गणेशी लाल ने कहा, “इस विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. अच्युत सामंत के लिए मेरे दिल में प्रशंसा और सम्मान भरा है, जिन्होंने इस तरह के एक अद्वितीय संस्थान के निर्माण किया। यह एक न्यायसंगत दुनिया का विचार था जिसने डॉ सामंत को काफी हद तक प्रेरित किया। एक व्यक्ति के प्यार, करुणा, समर्पण और दृढ़ संकल्प से जो हासिल हुआ है वह वास्तव में सराहनीय है। इस मौके पर उन्होंने एक शेर कहा — “अपनी सुबह का सूरज उगाता हूं खुद, चिरागों के सहारे में जीता नहीं।”

कीस विश्वविद्यालय की ओर से राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल को डी.लिट की मानद उपाधि से नवाजा गया। समारोह में विश्वविद्यालय की ओर से ने डी.लिट की मानद उपाधियां ओडिशा के और तीन प्रतिष्ठित व्यक्तियों को प्रदान की गईं. वे हैं-  गिरीश चंद्र मुर्मू, भारत के  नियंत्रक और महालेखा परीक्षक; माननीय डॉ. स्वरूप रंजन मिश्रा, केसेस निर्वाचन क्षेत्र के लिए संसद सदस्य, केन्या तथा संस्थापक अध्यक्ष, मेडिहील ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, केन्या और  विभु महापात्रा, फैशन डिजाइनर और कॉस्ट्यूम डिजाइनर, न्यूयॉर्क।

KISS ने परोक्ष रूप से एक लाख से अधिक आदिवासी बच्चों और युवाओं को प्रभावित किया है, जो अपने आप में आदिवासी सशक्तिकरण के इतिहास में एक मील का पत्थर है। इस मौके पर कीस के फाउंडर, सांसद और जाने—माने समाजसेवी डॉ. अच्युत सामंत ने गणमान्य अतिथियों का स्वागत और डिग्री प्राप्तकर्ताओं को बधाई देते हुए कहा, “यह एक सपने के सच होने की कहानी है, जिसने 1992-93 में 125 छात्रों के साथ नई शुरुआत की और आज मेरी कल्पना से भी परे जाकर परिवर्तन की एक प्रेरक कहानी बन गई है। शिक्षा का विकास ही देश का विकास है।”

वहीं सम्मान के लिए धन्यवाद देते हुए  मुर्मु ने डॉ सामंत से देश के कोने-कोने में KIIS जैसी संस्थानों की स्थापना कराने का निवेदन किया। उनके साथ डॉ. मिश्र और  महापात्र ने भी उनके योगदानों को सम्मानित करने के लिए विश्वविद्यालय के प्रति आभार जताया।

स्तानक छात्रों को संबोधित करते हुए KISS डीम्ड विश्वविद्यालय के चैंसलर श्री सत्य एस त्रिपाठी ने कहा,“ आप लोगों ने छात्र से स्नातक का सफर तय कर लिया है, लेकिन याद रखने की जरूरत है कि आपकी प्रारंभिक संस्थान करुणा और मानवता का एक स्तंभ है और इस अद्वितीय विरासत और निस्वार्थ सेवा की परंपरा को विश्वास के साथ आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी आपके कंधों पर है। डॉ. उपेंद्र त्रिपाठी, प्रो-चांसलर ने कहा कि KISS ने नेतृत्व संभालने का तरीका बताया है। उन्होंने बताया कि आने वाले दशक में विश्व शैक्षणिक नेतृत्व के मार्गदर्शन में इसे एक वैश्विक शैक्षणिक केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।

अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए प्रो. दीपक कुमार बेहरा, वाइस चांसलर ने कहा कि में KISS अपनी तरह की एक संस्थान है, जो अभिनव आदिवासी केंद्रित क्षेत्रों में विशेषज्ञता और आवश्यक विषयों पर शोध करने के प्रति प्रोत्साहित करता है। प्रो. पितबास साहू, प्रो-वाइस चांसलर और डॉ. प्रशांत कुमार राउतराय, कुलसचिव ने भी इस अवसर पर स्नातकों को शुभकामनाएं दीं।

मल्हो मार्डी (2019 बैच), स्कूल ऑफ ट्राइबल रिसोर्स मैनेजमेंट और प्रशांत मांझी (2020 बैच), स्कूल ऑफ इंडिजिनस नॉलेज, साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने पूरे विश्वविद्यालय में सभी स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में श्रेष्ठ सीजीपीए हासिल की है, जिसके के लिए उन्हें संस्थापक के स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। इसी तरह, 14 छात्रों को कुलाधिपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया, जबकि अन्य 14 छात्रों को उनके उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन के लिए कुलपति रजत पदक प्रदान किया गया।


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