उत्तराखंड
क्या सीएम धामी की नजर मूलभूत सुविधाओं से वंचित गांव जुवाग्वाङ तक पहुंच पाएगी
20 वर्ष का युवा हो चुका उत्तराखंड, गांव जुवाग्वाड अपनी बेबसी आंखों से देख रहा उत्तराखंड के 11 वें मुख्यमंत्री धामी की ओर
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ऋषिकेश, 17 अगस्त। उत्तराखंड के चाइना बॉर्डर से लगे कुछ गांव विकास की राह तक रहे हैं। उत्तराखंड बनने के 21 वर्षों बाद भी इस गांव तक शिक्षा चिकित्सा और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं पहुंच पाई है।
चाइना बॉर्डर से लगा हुआ एक गांव जुवाग्वाड है। इस गांव की जनसंख्या लगभग 200 है। लेकिन आज तक इस गांव की सुध न तो किसी नेता ने ली और न ही किसी अधिकारी ने ली। संसाधन विहीन गांव में न तो स्कूल की व्यवस्था है और न ही सड़क गांव तक पहुंच पाई है। इस गांव के लिए लगभग 10 साल पहले एक झूला पुल की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई। लेकिन ऋषि गंगा नदी में आपदा आने से यह पुल भी बह गया। आज इस गांव में पहली बार बुजुर्ग महिलाओं और बुजुर्ग लोगों ने झंडा फहराया है। यह एक देश भक्ति दर्शाता है। जब-जब राजनीतिक दलों को वोट की आवश्यकता होती है तो वह इस गांव में लगभग 3 किलोमीटर पैदल ही चल कर आते हैं और आकर सड़क का वायदा करके चले जाते हैं। आज इस गांव की स्थिति यह है कि इस गांव के बच्चे जोशीमठ, तपोवन, देहरादून और दिल्ली में पढ़ने को मजबूर हैं। दुर्भाग्य है कि इस गांव में प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत भी सड़क नहीं पहुंच पाई। ग्रामीणों ने कहा कि शायद सरकार चाहती है कि आने वाले दिनों में चाइना बॉर्डर से लगे हुए सारे गांव चाइना में मिल जाए। जबकि इससे ऊपर भी लगभग 20-25 गांव है। उन गांव के भी यही हाल है। आखिर भारत सरकार चाहती क्या है? इन सभी गांव को सीमा पर वित्तीय पंक्ति की पहला पहरी माना जाता है। लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। आजकल ग्राम जुवाग्वाड के सभी लोग अपनी जान को जोखिम में डालते हुए ट्रॉली से आवाजाही करने को मजबूर हैं।
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