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चमोली। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के साथ ही पांचवें धाम हेमकुंड साहिब के कपाट तीर्थयात्रियों के लिए खोल दिये गए हैं। ऐसे में श्रद्धालुओं ने श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के चरणों में अरदास की है कि दरबार में पहुंच रही संगतों की मनोकामना वह पूरी करें और उनकी यात्रा सफल हो।
बता दें कि राज्य सरकार ने कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए प्रतिदिन हेमकुंड में 1000 श्रद्धालुओं को ही दर्शन करने की अनुमति दी है। वहीं, हेमकुंड मैनेजमेंट ने अभी यात्रा समाप्ति की तिथि की घोषणा नहीं की है। उनका कहना है कि मौसम को देखते हुए आगे इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा। हेमकुंड मैनेजमेंट का कहना है कि यात्रा पर आने वाले यात्री कृपया ऋषिकेश गुरुद्वारा में ट्रस्ट कार्यालय में पंजीकरण कराकर और पास लेकर ही प्रस्थान करें। बर्फ की पहाड़ियों से घिरा है। हेमकुंड साहिबरू हिमालय की गोद में बसा हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा सिख धर्म की आस्था का प्रतीक है। हजारों की तादाद में देश-विदेश से श्रद्धालु हर साल यहां दर्शन के लिए आते हैं। चारों तरफ से पहाड़ और बर्फ से ढकी चोटियों के बीच हेमकुंड साहिब समुद्र तल से 4329 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हेमकुंड साहिब तक आने के लिए श्रद्धालुओं को बर्फीले रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है। गुरु गोविंद साहिब ने की थी अराधनाः हेमकुंड साहिब को लेकर सिख धर्म के श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां पर सिख धर्म के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह साहिब ने कई वर्षों तक महाकाल की आराधना की थी। गुरु गोविंद सिंह जी की तपस्थली होने के कारण सिख धर्म के लोगों में इस स्थान को लेकर अपार श्रद्धा है और वे तमाम दिक्कतों के बाद भी यहां पहुंचते हैं। हेमकुंड साहिब की यात्रा को सबसे कठिन तीर्थ यात्राओं में से एक माना जाता है।
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