धर्म-कर्म
इस वर्ष पितृपक्ष तिथि घटने से पूरे राष्ट्र के लिए है शुभ : आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल
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सनातन धर्म में पितृपक्ष का है बहुत अधिक महत्व
इस वर्ष पितृपक्ष तिथि घटने से पूरे राष्ट्र के लिए है शुभ
सनातन धर्म में पितृ पक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान पितर संबंधित कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल का कहना है कि पितृपक्ष में
विधि- विधान से पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शावाद प्राप्त होता है। पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होता है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष रहता है।
पितृ पक्ष आरंभ और समापन की तारीख
इस साल 20 सितंबर 2021 से पितृ पक्ष आरंभ हो जाएगा और 6 अक्टूबर 2021 को पितृ पक्ष का समापन हो जाएगा।
पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है। यहां तक की शस्त्र की चोट से ब्राह्मण के श्राप से ऊंचे स्थान से गिरने से भी जिनकी मृत्यु होती है उनका श्राद्ध भी इस दिन करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती से
पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां-
पूर्णिमा श्राद्ध – 20 सितंबर 2021-
प्रतिपदा श्राद्ध – 21 सितंबर 2021
द्वितीया श्राद्ध – 22 सितंबर 2021
तृतीया श्राद्ध – 23 सितंबर 2021
चतुर्थी श्राद्ध – 24 सितंबर 2021,
पंचमी श्राद्ध – 25 सितंबर 2021
षष्ठी श्राद्ध – 27 सितंबर 2021
सप्तमी श्राद्ध – 28 सितंबर 2021
अष्टमी श्राद्ध- 29 सितंबर 2021
नवमी श्राद्ध – 30 सितंबर 2021
दशमी श्राद्ध – 1 अक्तूबर 2021
एकादशी श्राद्ध – 2 अक्तूबर 2021
द्वादशी श्राद्ध- 3 अक्तूबर 2021
त्रयोदशी श्राद्ध – 4 अक्तूबर 2021
चतुर्दशी श्राद्ध- 5 अक्तूबर 2021
अमावस्या श्राद्ध- 6 अक्तूबर 2021
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त ज्योतिष आचार्य चंडी प्रसाद विशेष रूप से बताते हैं कि
इस साल 26 सितंबर को श्राद्ध तिथि नहीं है। और श्राद्ध तिथि का घटना शास्त्र की दृष्टि में बहुत शुभ माना जाता है यदि आगे नवरात्र की तिथि बढ़ रही हो तो पूरे देश के लिए शुभ संकेत होता है
पितृ पक्ष का महत्व
आचार्य जी का कहना है कि
पितृ पक्ष में पितर संबंधित कार्य करने से व्यक्ति का जीवन खुशियों से भर जाता है। पितरों का स्थान शास्त्र में देवताओं से भी पूजनीय माना गया है क्योंकि देवता तो सभी के लिए पूज्य होते हैं परंतु अपने गोत्र के पितर उस गोत्र के व्यक्तियों द्वारा ही पूजे जाते हैं
इस पक्ष में श्राद्ध तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आर्शीवाद देते हैं।
पितर दोष से मुक्ति के लिए इस पक्ष में श्राद्ध, तर्पण करना शुभ होता है।
श्राद्ध विधि
श्रीमद् भागवत व्यास पीठ पर विराजमान होने वाले आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद बताते हैं कि
किसी सुयोग्य विद्वान ब्राह्मण के जरिए ही श्राद्ध कर्म (पिंड दान, तर्पण) करवाना चाहिए।
श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को तो दान दिया ही जाता है साथ ही यदि किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता भी आप कर सकें तो बहुत पुण्य मिलता है।
इसके साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश जरूर डालना चाहिए।
यदि संभव हो तो गंगा नदी के किनारे पर श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो घर पर भी इसे किया जा सकता है। जिस दिन श्राद्ध हो उस दिन ब्राह्मणों को भोज करवाना चाहिए। भोजन के बाद दान दक्षिणा देकर भी उन्हें संतुष्ट करें।
श्राद्ध पूजा दोपहर के समय शुरू करनी चाहिए. योग्य ब्राह्मण की सहायता से मंत्रोच्चारण करें और पूजा के पश्चात जल से तर्पण करें। इसके बाद जो भोग लगाया जा रहा है उसमें से गाय, कुत्ते, कौवे आदि का हिस्सा अलग कर देना चाहिए। इन्हें भोजन डालते समय अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए. मन ही मन उनसे श्राद्ध ग्रहण करने का निवेदन करना चाहिए।
श्राद्ध पूजा की सामग्री:
रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी , रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, जौ तिल सफेद चंदन कांसे की थाली तुलसी के पत्ते सफेद फूल दूर्वा घास शालिग्राम के ऊपर तर्पण करने चाहिए। अर्पण काजल पूरे घर में छिड़कना चाहिए।
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