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ऋषिकेश, 02 अक्टूबर। तीर्थनगरी में एक व्यक्ति द्वारा एक आश्रम के ट्रस्टी से अपने नाम वसीयत लिखवा कर आश्रम की संपत्ति हड़पने और खुर्दबुर्द का मामला सामने आया है। ट्रस्टी द्वारा केस दाखिल करने के बाद न्यायालय ने आश्रम के ट्रस्टी के पक्ष में फैसला सुनाया है।
तीर्थनगरी ऋषिकेश में पुरानी सब्जी मंडी के पास जीवनी माई मार्ग पर लक्ष्मी भक्ति आश्रम स्थित है। जिसके 27 फरवरी 2013 से महाप्रबंधक एवं मुख्य ट्रस्टी संजय अग्रवाल है। संजय अग्रवाल ने न्यायालय में आरोप लगाते हुए बताया कि उन्होंने ऋषिकेश निवासी मोहन तिवारी के आग्रह पर 9 अक्टूबर 2014 को उनके नाम वसीयतनामा कर दिया था। क्योंकि जीवित व्यक्ति की वसीयत लागू नहीं होती, इसलिए मोहन तिवारी के आग्रह पर ही उन्होंने मूल वसीयत मोहन तिवारी के पास ही छोड़ दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 से दिसंबर 2019 तक मोहन तिवारी आश्रम की देख रही सही प्रकार करता रहा। लेकिन सितंबर 2020 में मोहन तिवारी से आश्रम की व्यवस्था के संबंध में जानकारी मांगी गई तो वह आग बबूला हो गया और कहने लगा कि अब वह लक्ष्मी भक्ति आश्रम का मालिक है और तुम उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाओगे। उक्त कृत्य से ट्रस्टी संजय अग्रवाल ने खिन्न होकर 15 अक्टूबर 2020 को पंजीकृत निरस्तीकरण विलेख के माध्यम से वसीयत व नियुक्ति पत्र निरस्त करा दिया। जिसके बाद 16 अक्टूबर 2020 को आश्रम की देखभाल के लिए मोहन तिवारी अपने साथ चार-पांच लोगों को आश्रम में लेकर पहुंच गया और ट्रस्टी संजय अग्रवाल को धमकी देने लगा। जिसपर आश्रम के ट्रस्टी संजय अग्रवाल ने न्यायालय की शरण ली। इस दौरान मोहन तिवारी ने आश्रम की संपत्ति पर अधिकार जमा लिया और उन्हें खुर्दपुर करने लगा।
वही, ऋषिकेश सिविल जज जूनियर डिवीजन राजेंद्र कुमार की अदालत ने बीते 6 सितंबर को आश्रम के मुख्य ट्रस्टी और महाप्रबंधक संजय अग्रवाल के पक्ष में फैसला सुनाते हुए आश्रम से संबंधित सभी अधिकार उन्हें सौंप दिए हैं।
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