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द्वितीया तिथि आरंभ : 05 नवंबर 2021 दिन शुक्रवार को रात 11 बजकर 14 मिनट से।
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का समाप्ति काल 06 नवंबर 2021 दिन शनिवार को शाम 07 बजकर 44 मिनट पर। कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीय तिथि को भाई दूज या यम द्वितीय कहा जाता है। इस दिन बहिन अपने भाई की दीर्घायु व सुखसमृद्धि की कामना के लिए पहले अपने उपास्य देवी देवताओं की पूजा करती हैं, और फिर शुभ मुहूर्त में भाई को तिलक लगाने के बाद भाई की आरती उतारती है। बदले में भाई भी बहिन को उपहार भेंट करता है। भाई दूज का पौराणिक महत्व-पौराणिक मान्यतानुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष के दिन यमराज अपनी बहिन यमुना के घर गया था। भाई की उपस्थिति से यमुना बड़ी प्रसन्न हुई, उसने भाई की। आरती उतारी और फिर यम को मिष्टान्न और विविध प्रकार के व्यंजन प्रस्तुत किए। यम अपनी बहिन के द्वारा किए गए आथित्य सत्कार से अति प्रसन्न हुआ। हर्षातिरेक यम उसी समय घोषणा करता है।कि संसार में जो भी व्यक्ति आज के दिन यानी कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वीतीय तिथि को बहिन के घर जायेगा अथवा बहिन को अपने घर बुलायेगा वह विपत्तियों से मुक्त होकर जीवन में यश,धन,आयु आदि सब कुछ प्राप्त करेगा। भाई दूज की पूजा विधि-भाई दूज की पूजा विधि से पूर्व बहिनों को अपने-अपने उपास्य देवी देवताओं और भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए। तदुपरान्त यथा श्रद्धानुसार जैसे-तिलक,चावल,फूल, फल,मिठाई आदि उपलब्ध सामग्री से भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिए। उसके बाद भाई को किसी आसान या कुर्सी आदि में बिठाकर तिलक,चावल का टीका व मौली का सूत्र बांधना चाहिए, उसके बाद कुछ मीठा खिलना चाहिए और फिर भोजन कराना चाहिए। ये सामान्य विधान है, लेकिन कुछ क्षेत्रीय परम्परायें अलग-अलग हो सकती है। अतः आप अपनी ही परंपराओं के अनुसार भाई दूज की पूजा विधि का निर्वाह करें।
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