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हाईकोर्ट ने दिए लाल बाबा की गिरफ्तारी के आदेश
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ऋषिकेश। न्यायालय में लंबित मुकदमे में गिरफ्तारी से बचने के लिए एक फर्जी बाबा ने न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश के तहत फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र दाखिल करा दिया था। जिसकी जांच के बाद बाबा के दोषी पाए जाने पर न्यायालय ने सात साल बाद आरोपी के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर तत्काल गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। लेकिन इस बीच उक्त बाबा न्यायालय से स्टे ऑर्डर लेने उच्च न्यायालय पहुंच गया। जिसका संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने भी बाबा सहित मामले में संलिप्त सभी लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर तत्काल गिरफ्तारी के आदेश जारी किए हैं।
गौरतलब है कि रतनेश दास उर्फ लाल बाबा निवासी दरगाईनाथ आश्रम, लक्ष्मण झूला रोड, ऋषिकेश का अपने भाई ब्रह्मलीन महंत प्रदीप गिरी निवासी कबीर चौरा आश्रम, लक्ष्मण झूला रोड, ऋषिकेश के साथ वर्ष 2013 में किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। जिसके बाद 2014 में ब्रह्मलीन महंत प्रदीप गिरी की ओर से लाल बाबा के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 व 506 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था। जांच के बाद न्यायालय ने लाल बाबा को दोषी पाए जाने पर गिरफ्तारी के आदेश दिए। लेकिन लाल बाबा जमानत करा कर फरार हो गया था। मामले में दोषी होने के कारण लाल बाबा ने गिरफ्तारी से बचने के लिए वर्ष 2017 में न्यायालय में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र दाखिल करवाकर मामले को खत्म करवा दिया था।
जिसमें स्थानीय निवासी ऋषि राजपूत ने हस्तक्षेप करते हुए जिला जज देहरादून के समक्ष प्रार्थना प्रार्थना पत्र पत्र देकर मामले की सच्चाई से वाकिफ कराया था। न्यायालय ने मामले का संज्ञान लेते हुए सिविल जज (जेडी/जेएम) ऋषिकेश को उचित कार्रवाई के आदेश दिए थे। जिला जज देहरादून के आदेश पर सिविल जज ऋषिकेश ने मामले से संबंधित लोगों से पूछताछ कर जांच की। जिसमें रतनेश दास उर्फ लाल बाबा द्वारा न्यायालय के समक्ष कूटरचित प्रमाण पत्र दाखिल करवाकर मामले की कार्रवाई को उपशमित करवाना पाया गया जो कि गलत और कानून के विरुद्ध है। मामले को लेकर सिविल जज (जेडी/जेएम) ऋषिकेश ने 28 मार्च को आरोपित लाल बाबा के विरुद्ध आईपीसी की धारा 420, 468, 470 व 471 के तहत मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। जिसके बाद से ही आरोपित लाल बाबा फरार चल रहा है।
इस बीच आरोपित रतनेश दास उर्फ लाल बाबा ने उच्च न्यायालय में गिरफ्तारी पर रोक लगाए जाने संबंधी स्टे आर्डर प्राप्त करने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। इसमें उच्च न्यायालय ने तमाम पहलुओं और साक्ष्यों को देखते हुए रत्नेश दास को मामले में दोषी पाया है और उच्च न्यायालय ने 29 नवंबर को रत्नेश दास की गिरफ्तारी पर रोक लगाए जाने संबंधी स्टे आर्डर को निरस्त कर दिया। साथ ही उच्च न्यायालय ने रतनेश दास उर्फ लाल बाबा सहित मामले में संलिप्त सभी लोगों के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर तत्काल गिरफ्तारी के आदेश जारी किए हैं।
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