उत्तराखंडप्रशासनिक खबरें
सरकारी नौकरी सीमित, स्वरोजगार की दिशा में की गई पहलः धामी
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मुख्यमंत्री ने किया बोधिसत्व विचार श्रृंखला ई संवाद कार्यक्रम को सम्बोधित
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को मुख्यमंत्री आवास में बोधिसत्व-विचार श्रृंखला – ई संवाद कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड के समग्र विकास के लिये देवभूमि को योग, वेलनेस का शसक्त हब बनाने में सांस्कृतिक संस्थाओं, तीर्थाटन, होम स्टे से जुड़े लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि राज्य के व्यापक हित में राज्य के बुद्धिजीवियों, विषय विशेषज्ञों, प्रवासी प्रदेश वासियों के विचारों की श्रृंखला इस आत्म निर्भर बोधिसत्व कार्यक्रम के तहत आयोजित की गई है। इस संबंध में अब तक तीन श्रृंखला आयोजित की जा चुकी है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, केन्द्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. के विजय राघवन एवं अन्य कई विषय विशेषज्ञों के विचारों का लाभ हम प्राप्त कर चुके हैं।
उन्होंने कहा कि इस श्रृंखला में प्राप्त होने वाले सुझाव व विचार उत्तराखण्ड को 2025 में रजत जयंती वर्ष के अवसर पर राज्य को देश का श्रेष्ठ व अग्रणी राज्य बनाने में मददगार होंगे, इसके लिये सभी विभागों का आगामी 10 सालों का रोड मैप भी तैयार किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अच्छी स्कूल हो, शिक्षा का बेहतर वातावरण हो, स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास हो, राज्य के आय के संसाधनों की वृद्धि के साथ ही मूलभूत सुविधाओं के विकास पर कैसे नियोजित ढंग से व्यय हो, पलायन रूके, बेरोजगारी दूर हो इस प्रकार की ज्वलंत समस्याओं का हमें समाधान करना है। उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरी सीमित है, इससे ही बेरोजगारी दूर नहीं होगी। इसके लिये स्वरोजगार की दिशा में पहल की गई है। पुलिस विभाग में रिक्त पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की है। सरकारी नौकरी हजारों में है और बेरोजगारी लाखों में, यह विषय सभी के लिये सोचनीय है इसके लिये हम सबको सहयोगी बनना होगा। इसमें बुद्धिजीवियों, विषय विशेषज्ञों, तीर्थ पुरोहितों, समाज सेवियों, सभी को योगदान देना होगा।
प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी कुलपति उत्तराखण्ड संस्कृत विद्यालय द्वारा योगतंत्र व सांख्य योग को बढ़ावा देने के साथ ही हेल्थ कॉन्शियस के साथ पंचकर्म विद्या के विकास पर ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड देव भूमि, योग भूमि के साथ संस्कृत की भी भूमि है। भरत, वेदव्यास कण्व व कालीदास की इस भूमि में तीर्थस्थलों के पौराणिक महत्व को देश व दुनिया तक पहुंचाने में संस्कृत गाइडों का बड़ा योगदान हो सकता है। उन्होंने उत्तराखण्ड में संस्कृत व वेद की पाठशाला के विकास पर भी ध्यान देने की बात कही ताकि देश के लोग संस्कृत पढ़ने यहां आयें, उन्होंने केदारखण्ड, मानसखण्ड की यात्रामार्ग विकसित करने का भी सुझाव दिया।
पूर्व वन अधिकारी मोनिष मल्लिक ने केरल की भांति उत्तराखण्ड के चारधाम यात्रा मार्गों तथा अन्य दर्शनीय स्थलों पर अधिक से अधिक होम स्टे बनाये जाने, चाल खाल के विकास के साथ ही भूमि संरक्षण की दिशा में कार्य किये जाने की जरूरत बतायी।
कार्यक्रम का संचालन मुख्यमंत्री के मुख्य समन्वयक प्रो. दुर्गेश पंत ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तरखण्ड वासियों भाष्कर भट्ट, प्रहलाद अधिकारी आदि ने भी वर्चुअली प्रतिभाग कर अपने सुझावों से अवगत कराया तथा मुख्यमंत्री की इस पहल को राज्य हित में बताया।
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