नई दिल्लीप्रशासनिक खबरें

बजट में पर्वतीय राज्यों को साधने की तैयारी, सीमांत गांवों के लिए नई वाइब्रेंट विलेज योजना

पहाड़ी राज्यों केा होगा बड़ा फायदा

देहरादून। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण  ने आज 1 फरवरी को सदन में देश का आम बजट पेश किया  है। इस बार बजट में केंद्र सरकार ने उत्तर भारत में अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर से लगे हुए क्षेत्रों के विकास पर फोकस किया है। सीमांत गांवों के विकास को लेकर केंद्र सरकार नई वाइब्रेंट विलेज योजना  शुरू करने जा रही है। हालांकि इसके लिए कितना बजट रखा गया है, अभी इसका फिगर सामने नहीं आया है, लेकिन इस प्रोजेक्ट से उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य को बड़ा फायदा होने जा रहा है।
चुनाव के लिहाज से इस बजट में उत्तराखंड के लिए ये बड़ी घोषणा है। शायद उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी इस घोषणा को भुनाने की पूरी कोशिश भी करे। इन 10 दिनों में बीजेपी के नेता वाइब्रेंट विलेज योजना का बखान करते हुए दिखाई दें।
बता दें कि इस योजना के तहत उत्तरी सीमा पर स्थित गांवों को कवर किया जाएगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सीमावर्ती गांव जहां की जनसंख्घ्या बहुत कम है, वहां पर बुनियादी सुविधाएं और कनेक्टिविटी बहुत ही कम है, ये गांव या क्षेत्र विकास के लाभ से वंचित रह गए हैं। उत्तरी सीमा के ऐसे ही गांवों को इस नए वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के अंतर्गत लाया जाएगा।वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत इन गांवों में बुनियादी सुविधाओं के साथ आवास, पर्यटन केन्घ्द्रों के निर्माण, सड़क, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं को विकसित किया जाएगा। इसके लिए सरकार अतिरिक्त बजट उपलब्ध कराएगी। वर्तमान में जो योजनाएं बॉर्डर क्षेत्र के विकास के लिए चल रही हैं, उनको भी इसी में समायोजित कर दिया जाएगा।बता दें कि उत्तराखंड की अंतरराष्ट्रीय सीमा नेपाल और चीन से लगती है। उत्तराखंड के उधमसिंह नगर, चंपावत और पिथौरागढ़ जिलों की सीमाएं सीधे नेपाल की सीमा से लगाती हैं। वहीं चीन की सीमा उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी जिलों से लगती है। खासकर चीन सीमा पर बसे उत्तराखंड के अधिकांश गांवों में सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। सीमांत गांव लगातार खाली हो रहे हैं। कई गांवों को भूतिया भी घोषित किया जा चुका है।
उत्तराखंड सरकार ने भी इंटरनेशनल बॉर्डर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत चीन से सटे 11 ब्लाकों में 100 गांवों को चिन्हित किया था। ताकि यहां से होने वाले पलायन को रोका जा सके और इसके लिए यहां पर युवाओं को रोजगार के अवसर, खेतीबाड़ी, बागवानी, मधुमक्खी पालन, मछली पालन, दुग्ध उत्पादन आदि कार्यों पर फोकस किया था।यदि केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना परवान चढ़ती है तो ये उत्तराखंड के विकास में मील का पत्थर साबित होगी। क्योंकि इससे न सिर्फ चीन और नेपाल से लगे सीमांत इलाकों का विकास होगा, बल्कि पलायन की समस्या भी काफी हद तक दूर होगी। उत्तराखंड के सीमांत गांव आज भी नेटवर्क, बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। वहीं भारत की सीमाएं भी सुरक्षित होंगी।

उत्तराखंड के सीमांत जिले व गांव
पिथौरागढ़ जिले की सीमा चीन और नेपाल दोनों से लगती है। यहां व्यास, दारमा और चौदास घाटी के दर्जनों गांव चीन सीमा के नजदीक हैं। वहीं उत्तरकाशी जिले की माखुवा, धराली, हर्षिल और बगोरी घाटी चीन सीमा के नजदीक है। इसके अलावा चमोली जिले की नीती घाटी में बसे कई गांव चाइन बॉर्डर से काफी नजदीक हैं।

पर्वतमाला योजना की घोषणा
निर्मला सीतारमण ने कहा कि दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में परंपरागत सड़कों के विकल्घ्प जो पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ हों, ऐसे में पहाड़ी क्षेत्रों मे पर्वतमाला रोप-वे चलाए जाने की योजना है। एफवाई 23 में 8 नई रोप-वे का ऑर्डर दिया जाएगा। 2022-23 में 60 किलोमीटर लंबी 8 रोपवे परियोजनाओं को लागू किया जाएगा।

पर्वतीय राज्यों के लिए पर्वतमाला योजनाः मोदी
वहीं, बजट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देश में पहली बार ऐसा हो रहा है कि पर्वतीय राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के साथ नॉर्थ ईस्ट के राज्यों के लिए पर्वतमाला स्कीम की शुरुआत हो रही है। इससे इन राज्यों में मॉडर्न ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम, कनेक्टिविटी का आधारभूत ढांचा बनेगा और सीमावर्ती गांव सुदृढ़ होंगे. इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि गंगा के किनारों के 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाली जमीन पर ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2021 तक उत्तराखंड में गंगा किनारे जैविक खेती के लिए 50,840 हेक्टेयर भूमि पर हो रही थी।

उत्तराखंड में रोपवे प्रोजेक्ट्स की स्थिति
उत्तराखंड में कई रोपवे प्रोजेक्ट पर काम चल रहे हैं और कई योजनाएं प्रस्तावित हैं। उत्तराखंड में जिन इलाकों में सड़क कनेक्टिविटी संभव नहीं है, वहां पर रोपवे के माध्यम से जोड़ने का काम लगातार किया जा रहा है। चारधाम यात्रा को मजबूती देने के लिए गौरीकुंड से केदारनाथ तक भी रोपवे प्रोजेक्ट योजना प्रस्तावित है। इसके अलावा मसूरी-देहरादून रोपवे प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. धनौल्टी में सुरकंडा देवी रोपवे प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है।

Related Articles

Close