
इनेसा गार्डर की अनूठी प्रतिभा और जिस तरह से वह अपनी दृष्टि और विचारों को कला में बदलने का प्रबंधन करती है
मंत्रमुग्ध करने का अभ्यास करें। एक रूसी मूल की कलाकार, इनेसा गार्डर के पास इटली रूस और यूनाइटेड किंगडम का असाधारण अनुभव है जिस से वो सारी दुनिया मे घूम कर अपनी कला तकनीक को निखार रही है
लंदन में रहते हुए, इनेसा ने अपनी लन्दन स्ट्रीम श्रृंखला को लंदन समूह प्रदर्शनी TRIBE #16 में प्रदर्शित किया ये श्रृंखला राजधानियों और महानगरों के लगातार परिवर्तन से प्रेरित है।
शहर के जीवन, सामाजिक आख्यान और शहरी परिवेश पर शोध के साथ ही उसने लंदन की प्रदर्शनी ‘लंदनर्स कंपास’ और ‘ट्राइब #17 ‘ में प्रतिभाग किया । अपनी कला साधना में लगी कलाकार ने अपनी कला में और नए रंग भरने के लिए भारत देश को चुना ।
उत्तर भारत में अपने लगभग 3 वर्षों के दौरान इनेसा की शैली नाटकीय रूप से बदल गयी । हिमालय की तलहटी में गंगा मेंनदी के आलिंगन में , इनेसा को अपनी एक अलग शैली, और उसका विषय और उसका संदेश मिला । उसने देवभूमि उत्तराखंड में
पेंटिंग “जागृति” को मानसून के मौसम में 1676 मीटर की ऊंचाई पर चित्रित किया । ऋषिकेश के पास कुंजापुरी मंदिर के पास के दृश्य को उसने अपने अंनत कला अभ्यास से दिखाया । जिस दिन यह पेंटिंग बनाई गई वह दिन
तेज धूप और घने कोहरे दोनों से भरा था।
रवींद्रनाथ टैगोर के गीतों और जिद्दु कृष्णमूर्ति के लेखन से प्रेरित इनेसा ने समृद्ध भारतीय विरासत में गोता लगाया उसे देवभूमि का आश्रीवाद मिला और उसने यह विश्व विख्यात चित्र बनाया । उसने अपने रँग पैलेट को न्यूनतम रखा जो कि समकालीन भारतीय चित्रकार अभिषेक सिंह से प्रभावित है। जो कि अधिकतम अभिव्यंजक प्रभाव प्राप्त करने के लिए एक सीमित रंग पैलेट को नियोजित करता है और विशेष रूप से अपने आधुनिक कला में फ़िरोज़ा की हाइलाइट्स के साथ इंडिगो के गहरे रंगों से
हिंदू देवताओं का चित्रण करता है ।
जाग्रति चित्र नील और नीले रंग के अपने हल्के रंगों और परिदृश्य की अपनी कोमल रेखाओं को गर्त में ले जाता है । इस देख दर्शक कोहरे में गायब हो जाना महसूस करता है । वह हर दर्शक को को एक अलग दुनिया में ले जाता है। दुनिया जहाँ सब कुछ संभव है । यही देवभूमि का दैवीय प्रभाव है जो इस चित्र को मिला है।