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गुजरात में सातवीं बार खिला कमल

कांग्रेस का अब तक का सबसे खराब परफॉर्मेंस

भाजपा के खिलाफ वोटरों को लामबंद नहीं कर पाई कोई भी पार्टी

अहमदाबाद। गुजरात में तस्वीर लगभग साफ हो गई है। यहां स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक बार फिर सरकार बनने जा रही है। भारतीय जनता पार्टी वर्तमान में नवीनतम रुझानों में 157 सीटों पर आगे चल रही है। इससे स्पष्ट रूप से संकेत मिलता है कि पार्टी 127 सीटों का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ रही है। साथ ही 1985 में माधव सिंह सोलंकी कांग्रेस सरकार द्वारा हासिल किए गए 149 के उच्चतम पिछले चुनावी रिकॉर्ड को भी तोड़ रही है। चुनाव आयोग द्वारा सभी 182 सीटों पर आए ताजा रुझानों के मुताबिक बीजेपी 157 सीटों पर आगे चल रही है।
अगर बीजेपी राज्य में 157 सीटें जीतने में कामयाब हो जाती है, तो वह न केवल 2002 के विधानसभा चुनावों में 127 सीटों के साथ पार्टी द्वारा सबसे ज्यादा जीत हासिल करने का अपना रिकॉर्ड तोड़ देगी बल्कि गुजरात में सबसे ज्यादा सीटें हासिल करने का रिकॉर्ड भी तोड़ देगी।
गुजरात में 27 सीटें अनुसूचित जनजाति और 13 सीटें अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हैं। पारंपरिक तौर पर यहां पर कांग्रेस मजबूत रही है। पर, इस चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को यहां पर भी झटका दिया है। इन इलाकों में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर मतदान किया। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार की योजनाओं का फायदा यहां पर लोगों को मिला, और यह परिणाम में भी दिखा। उत्तर गुजरात में चुनाव से कुछ दिनों पहले ही पीएम मोदी ने आठ हजार करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास किया था। 2017 में कांग्रेस के पक्ष में कई कारक थे। पाटीदार आरक्षण आंदोलन की वजह से भाजपा के खिलाफ राजनीतिक माहौल बना था। उस समय उना फैक्टर (दलित आंदोलन) भी कांग्रेस के पक्ष में था। गुजरात में मालधारी समुदाय ने खुले तौर पर कांग्रेस के पक्ष में वोट डालने की अपील की थी। इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। नोटबंदी और जीएसटी का मुद्दा था। पिछले पांच सालों में कांग्रेस के 14 नेता भाजपा की ओर चले गए। इस बार इसका भी असर देखने को मिला। ऐसा कहा जाता है कि कांग्रेस के पास संगठन है, लेकिन नैरेटिव नहीं है और यह पार्टी को भारी पड़ गया। खुद राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त रहे, लेकिन उन्होंने प्रचार से दूरी बना ली थी। उन्होंने सिर्फ दो रैलियों को यहां पर संबोधित किया। जब से गुजरात का गठन हुआ है, तब से कांग्रेस को कभी भी 30 फीसदी से कम वोट नहीं आए हैं।

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