
चमोली। उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में भू-धंसाव के बाद स्थिति दिनों दिन खराब होती जा रही है। इमारतों में आई दरारें चौड़ी होती जा रही है। धामी सरकार भी आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास को लेकर काफी गंभीर नजर आ रही है, ताकि जल्द से जल्द प्रभावितों को स्थाई रूप से शिफ्ट किया जा सके।
जोशीमठ के ताजा हालात पर जब चमोली जिलाधिकारी हिमांशु खुराना से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि कुछ इलाकों में घरों में दरारों के चौड़ी होने की जानकारी मिली है। एक संस्था के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर जोशीमठ में कैंप कर रहे हैं। जहां पर भी कोई समस्या आ रही है, उसका समाधान किया जा रहा है। वैसे जोशीमठ के अन्य इलाकों में स्थिति सामान्य है। साथ ही उन्होंने बताया कि बर्फबारी या बारिश के कारण कही पर बिजली जाने की बात सामने आ रही है, तो उसका तत्काल संज्ञान लिया जा रहा है।
जोशीमठ के पुनर्वास को लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी का भी बयान आया है। उन्होंने कहा है कि समिति का गठन किया गया है। समिति सभी हितधारकों से बात कर रही है। पुनर्वास के लिए स्थान को लेकर भी बातचीत हो रही है। मुआवजे को लेकर भी बातचीत हुई। जोशीमठ में आठ संस्थान सर्वे कर रहे हैं। उनकी रिपोर्ट जल्द आएगी उसके बाद हम जरूरी कदम उठाएंगे, वो रोजाना जोशीमठ आपदा की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। जोशीमठ शहर का करीब 70 फ़ीसदी हिस्से में जनजीवन पूरी तरह से सामान्य है। जोशीमठ में बाजार खुले हुए हैं और सभी तरह के कामकाज चल रहे हैं। ऐसे में प्रभावित परिवारों जिनका पुनर्वास होना है, उस पर भी राज्य सरकार काम कर रही है। साथ ही भारत सरकार से भी लगातार संपर्क में है। इसके अलावा सीएम धामी ने जानकारी देते हुए बताया कि अब तक 270 परिवारों को अलग-अलग स्थानों पर शिफ्ट किया जा चुका है। एक इलाके को छोड़ बाकी सभी जगहों पर स्थिति सामान्य है। जोशीमठ में कड़ाके की ठंड है, इसलिए प्रशासन को हीटर, गर्म कपड़े और दवाओं की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वर्तमान समय में जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव के अध्ययन को लेकर 8 संस्थान काम कर रहे हैं। लिहाजा इन सभी की रिपोर्ट जल्द ही आने की उम्मीद है।
अध्ययन के बाद फाइनल रिपोर्ट तैयार की जाएगा। फिलहाल सरकार ने जो तमाम स्थान चिन्हित किए हैं, जहां पुनर्वास किया जाना है। उन क्षेत्रों का भी सर्वे का काम किया जा रहा है। लिहाजा लोगों की सहमति और उनको साथ लेकर मुआवजा और पुनर्वास को लेकर निर्णय लिया जाएगा। बता दें कि जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद जिन भवनों में दरारें आई थी, उन्हें तोड़ने का काम किया जा रहा है। हालांकि मौसम खराब होने के बाद भवनों के ध्वस्तीकरण का काम रोक दिया गया था। लेकिन शनिवार 21 जनवरी को जैसे ही मौसम खुला तो भवनों के ध्वस्तीकरण का काम फिर से शुरू हो गया। बता दें कि, जोशीमठ में करीब 900 घरों में दरारें पड़ चुकी हैं।