उत्तराखंडराशिफल

25 अप्रैल को खुलेंगे बाबा केदार के कपाट

इस बार गुप्तकाशी विश्वनाथ में रहेगा बाबा केदार का अतिरिक्त प्रवास

21 अप्रैल को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल से हिमालय के लिए होगी रवाना

रुद्रप्रयाग। ग्यारहवें ज्योतिर्लिंंग भगवान केदारनाथ के कपाट खोलने की तिथि महाशिवरात्रि पर्व पर शीतकालीन गद्दीस्थल ओकारेश्वर मन्दिर में पंचाग गणना के अनुसार घोषित की गई। बाबा के कपाट 25 अप्रैल की सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर मेष लगन में ग्रीष्मकाल के लिए विधि-विधान से खोले जाएंगे, जबकि केदारपुरी के क्षेत्र रक्षक भैरवनाथ की पूजा 20 अप्रैल को शीतकालीन गद्दीस्थल आंेकारेश्वर मन्दिर में सम्पन्न होगी और 21 अप्रैल को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल आंेकारेश्वर मन्दिर से कैलाश के लिए रवाना होगी। इस बार भगवान केदारनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली का विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी में अतिरिक्त रात्रि प्रवास होगा।
महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल आंेकारेश्वर मन्दिर में मन्दिर समिति के पदाधिकारियों, विद्वान आचार्यों व हक-हकूधारियों की मौजूदगी में घोषित तिथि के अनुसार 20 अप्रैल  को भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल आंेकारेश्वर मन्दिर में केदारपुरी के क्षेत्र रक्षक भैरवनाथ की पूजा-अर्चना विधि विधान से संपंन की जायेगी! लोक मान्यताओं के अनुसार भैरव पूजन के बाद भैरवनाथ केदारपुरी को रवाना हो जाते हैं। 21 अप्रैल को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली औकारेश्वर मन्दिर से भक्तों के जयकारों व आर्मी की बैण्ड धुनों के साथ कैलाश के लिए रवाना होगी और विभिन्न यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। 22 अप्रैल को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली गुप्तकाशी से रवाना होकर नाला, नारायणकोटी, मैखंडा यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए फाटा पहुंचेगी। 23 अप्रैल को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली फाटा से रवाना होकर शेरसी, बड़ासू रामपुर, सीतापुर, सोनप्रयाग यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीष देते हुए अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गौरीमाई मन्दिर गौरीकुंड पहुंचेगी तथा 24 अप्रैल को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली गौरीकुंड से रवाना होकर जंगलचट्टी, भीमबली, लिनचोली होते हुए केदारनाथ धाम पहुंचकर भंडार गृह में विराजमान होगी तथा 25 अप्रैल को 6 बजकर 20 मिनट पर मेष  लगन में भगवान केदारनाथ के कपाट विधि-विधान से जय शंकर जय केदार के उदघोष के साथ ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जायेंगे। इस मौके पर मंदिर समिति अध्यक्ष अजेन्द्र अजय, सदस्य श्रीनिवास पोस्ती, आशुतोष डिमरी, बीरेन्द्र असवाल, पुष्कर जोशी, पूर्व धर्माधिकारी भुवनचन्द्र उनियाल, पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष रीता पुष्वाण, मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह, कार्यधिकारी आरसी तिवारी, पूर्व कार्यधिकारी अनिल शर्मा, पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत, राजकुमार नौटियाल, डाॅ हर्षवर्धन बंजवाल, कुशाल सिंह नेगी, तहसीलदार दीवान सिंह राणा, यदुवीर पुष्वाण, देवानंद गैरोला, नायब तहसीलदार जयकृत सिंह रावत, प्रकाश पुरोहित सहित मन्दिर समिति पदाधिकारी, अधिकारी, कर्मचारी, जनप्रतिनिधि, विद्वान आचार्य, हक-हकूकधारी सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे। वहीं दूसरी ओर हिंदुओं का पवित्र त्योहार महाशिवरात्रि व्रत के दौरान सभी शिव मंदिरों में देर शाम तक भक्तों का खूब तांता लगा। इस दौरान भक्तों ने पंचोपचार आदि पूजा अर्चना कर रुद्राभिषेक भी संपंन करवाया। कतिपय लोगों ने भगवान शंकर के चार पहर की पूजा भी संपादित की। शिव महापुराण में वर्णन मिलता है कि आज ही के दिन मां पार्वती ने शिव को वर रूप में प्राप्त किया था। ऐसे में प्रत्येक शिवालयों में शिव और पार्वती के युगल रूप की पूजा अर्चना की गई। गुप्तकाशी में विश्वनाथ मंदिर और अर्धनारीश्वर मंदिर में प्रातःकाल से देर शाम तक शिव भक्तों का खूब जमावड़ा रहा। इस दौरान एनसीसी के स्वयं सेवकों तथा अन्य स्थानीय व्यापारियों ने प्रसाद भी लोगों में वितरित किया।

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