आपदाउत्तराखंड

सिंहधार और नृसिंह मंदिर के बीच फूटी पानी की धार जोशीमठ में तबाही के संकेत

आपदा प्रभावितों की दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रही

मटमैले पानी को देखकर एक बार फिर दहशत में लोग

चमोली। जोशीमठ में आपदा प्रभावितों की दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मारवाड़ी में जेपी कंपनी के पास हो रहे जल रिसाव का स्तर भले ही कम हो गया हो। लेकिन अब सिंहधार और नृसिंह मंदिर के बीच बदरीनाथ हाईवे के किनारे अचानक जमीन के नीचे से एक नई जलधारा फूट गई है, जिससे लोग एक बार फिर खौफजदा हो गए हैं। नृसिंह मंदिर के पास सुबह 10ः30 बजे अचानक जमीन से पानी निकलने की खबर सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और जमीन के नीचे से निकल रहे मटमैले पानी को देखकर एक बार फिर दहशत में आ गये हैं।
स्थानीय लोगो का कहना है कि अपने जीवन काल में पहली बार उन्होंने इतनी ज्यादा मात्रा में इस स्थान पर पानी बहते देखा है। जोशीमठ में एक तरफ भू-धंसाव से प्राकृतिक जल स्रोत सूख रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ जोशीमठ में ही अलग-अलग जगह से भूमिगत जल बाहर आ रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जोशीमठ में अभी भी बड़ी भूगर्भीय हलचल हो रही है।
जोशीमठ की उपजिलाधिकारी कुमकुम जोशी ने बताया कि जोशीमठ में नृसिंह मंदिर के पास जमीन से पानी की नई जलधारा देखी गई है। जोशीमठ में तैनात भूगर्भीय विशेषज्ञों द्वारा घटना की जांच की जा रही है। इस बीच उत्तराखंड सरकार ने स्पष्ट करते हुए कहा कि जोशीमठ भूधंसाव को लेकर अध्ययन रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय होगा कि कितना क्षेत्र असुरक्षित है। उसी आधार पर इलाके में पुनर्निर्माण कार्य किए जाएंगे।

चारधाम यात्रियों का जोशीमठ पर पड़ा दबाव तो हो सकता है खतरा
। उत्तराखंड में अप्रैल महीने से चारधाम यात्रा शुरू होने जा रही है। इस बार की चारधाम यात्रा राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती के रूप में होगी। साल 2022 में हुई यात्रा के दौरान जितनी फजीहत उत्तराखंड सरकार और पूरे सिस्टम की हुई, वो किसी से छुपी नहीं है। वहीं, इस बार यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या भी डबल आने की उम्मीद जताई जा रही है। ऊपर से जोशीमठ में दरारों की बात हो या फिर स्वास्थ्य और दूसरी व्यवस्थाओं का मुकम्मल होना, ऐसे में साल 2023 की चारधाम यात्रा को सकुशल संपन्न कराना बड़ी चुनौती है।जोशीमठ में घरों, सड़कों और पहाड़ों में आ रही दरारें आए दिन बढ़ती जा रही हैं। ऊपर से चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी सरकार को परेशानी में डाल सकती है। बीते साल जिस तरह से यात्रा ने सभी रिकॉर्ड तोड़े थे उसके बाद उम्मीद यही जताई जा रही है कि इस बार की यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या साल 2022 से भी अधिक रहेगी। बीते साल हुई यात्रा के दौरान सैकड़ों लोगों ने व्यवस्था सही न होने से दम तोड़ा था, कई जानवरों की भी मौत हुई थी। ऐसे में साल 2023 में शुरू होने जा रही इस चारधाम यात्रा में कई चुनौतियां हैं जो सरकार के लिए सिरदर्द बन सकती हैं।
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बदरीनाथ है। हालांकि, केदारनाथ में श्रद्धालुओं की संख्या बीते कुछ सालों से बढ़ी है लेकिन आज भी सबसे अधिक भीड़ बदरीनाथ धाम में ही होती है। बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब को जाने वाला रास्ता जोशीमठ शहर से होकर गुजरता है। ऐसे में बीते दिनों से जोशीमठ शहर में आ रही दरारें कहीं इस यात्रा को बाधित न कर दें, ये बड़ा सवाल है।हालांकि, जोशीमठ का एक छोटा हिस्सा ही इस आपदा से गुजर रहा है। लेकिन जब यात्रा के दौरान सैकड़ों की तादाद में वाहन बदरीनाथ की तरफ जाते हैं तो यह रास्ता उनके लिए मुख्य पड़ाव होता है। ऐसे में कई बार इन रास्तों पर लंबे-लंबे जाम भी लग जाते हैं। राज्य सरकार और सिस्टम के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगा। जब अचानक से वाहनों का दबाव जोशीमठ शहर पर पड़ेगा कहीं शहर में आई दरारें और अधिक न हो जाएं।
भू-वैज्ञानिक प्रोफेसर बीडी जोशी कहते हैं कि, जोशीमठ के जिस स्थान पर यह दरारें आ रही हैं, अगर वहां पर बड़ी-बड़ी मशीनें लगातार काम करती रहीं तो उसके कंपन से और गाड़ियों के दबाव से दरारों में इजाफा होगा। ऐसे में राज्य सरकार को बहुत सोच समझकर कदम उठाना होगा। अच्छा होगा कि उस रास्ते का प्रयोग न के बराबर किया जाए। अगर ऐसा होता है तो हमें तैयार रहना होगा क्योंकि यात्रा के दौरान सुबह से लेकर शाम तक गाड़ियों की संख्या उस रूट पर निरंतर चलती रहती हैं।

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