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देहरादून। उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल ला देने वाले और पहाड़ की अस्मिता को झकझोर कर रख देने वाले बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड को 6 माह पूरे होने जा रहे हैं। लेकिन कछुआ चाल से चल रही जांच से नाराज पीड़ित परिवार न सिर्फ न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है अपितु उसका धैर्य और संयम जवाब दे चुका है। अंकिता के परिजनों का कहना है कि जांच और न्याय के नाम पर उन्हें अब तक आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिला है।
पौड़ी के एक गांव की रहने वाली अंकिता भंडारी जो ऋषिकेश स्थित वनंत्रा रिजार्ट में नौकरी करती थी, की हत्या 18 सितंबर 2022 को हुई थी, 18 मार्च को अंकिता भंडारी की हत्या को 6 माह पूरे होने वाले हैं। इस सनसनीखेज हत्याकांड में वनंत्रा रिजॉर्ट के मालिक पुलकित कार्य और रिजार्ट के दो अन्य कर्मचारियों अंकित व सौरभ के नाम सामने आये थे। 23 सितंबर को लक्ष्मण झूला थाने में अंकिता भंडारी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद जिन्हें गिरफ्तार किया गया था तथा उनकी ही निशानदेही पर 24 सितंबर को अंकिता भंडारी का शव चीला नहर से बरामद किया गया था। भले ही वह आरोपी जेल में बंद हो और इस मामले की जांच कर रही एसआईटी की टीम उनके खिलाफ चार्जशीट दायर कर चुकी हो लेकिन आरोपियों का नार्को या पॉलीग्राफ टेस्ट तक कराने में नाकाम रही है।
उल्लेखनीय है कि आरोपी पक्ष के सत्ताधारी दल से जुड़े होने के कारण इस मामले ने शुरुआती दौर में खूब राजनीतिक रंग लिया था। एक तरफ सीएम खुद पीड़ित परिवार को न्याय का भरोसा दिलाने अंकिता भंडारी के घर गए थे और अंकिता के भाई को सरकारी नौकरी दिलाने का वायदा करके आये थे। लेकिन अब तक पीड़ित परिवार को न न्याय मिला है न नौकरी ही मिली है। उधर पूर्व सीएम हरीश रावत भी पीड़ित परिजनों के आंसू पोछनेे उनके घर गए थे और उनकी लड़ाई लड़ने का भरोसा परिजनों को देकर आए थे लेकिन कुछ दिन मौन उपवास और धरने प्रदर्शनों के बाद उन्होंने अंकिता भंडारी और उनके परिजनों को भुला दिया है।
अंकिता भंडारी का परिवार इस मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट तक गया था लेकिन वह नाकाम ही रहा। इस मामले की जांच कर रही एसआईटी टीम को लीड कर रही डीआईजी पी.रेणुका देवी और एडीजी भले ही कुछ भी दावे करें लेकिन पुलिस के पास अब तक ऐसे कोई ठोस साक्ष्य नहीं है जो आरोपियों को सजा दिलवा सके। जांच में अंकिता के साथ रेप की पुष्टि नहीं होना तथा मुख्य आरोपी का घटना में प्रयुक्त मोबाइल तक रिकवर न होना, वनंत्रा का वह कमरा जिसमें अंकिता रहती थी खुलासे वाली रात ही ढहा दिया जाना और फॉरेंसिक रिपोर्ट में कुछ खास सुराग हाथ न लगना आदि अनेक बातें हैं जो आरोपियों के पक्ष में जाती दिख रही हैं। बीते कल अंकिता भंडारी की मां जिलाधिकारी पौड़ी से मिली और उनसे मदद की गुहार लगाई। उनका कहना है कि वह नैनीताल हाईकोर्ट और कोटद्वार कोर्ट के चक्कर लगाकर थक चुकी है। न्याय तो दूर उनके बेटे को आज तक नौकरी तक नहीं मिल सकी है। उनके पति भी बीमार हैं उनका ऑपरेशन हुआ है। उन्होंने डीएम आशीष चैहान से मदद की गुहार लगाते हुए कहा कि उनका परिवार भारी संकट व आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। जिलाधिकारी ने भी अभी उन्हें मदद का आश्वासन दिया है। अंकिता की मां का कहना है कि 6 माह में न्याय नहीं सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं।
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