उत्तराखंडस्वास्थ्य

उत्तराखण्ड में लंपी वायरस से 77 पशुओं की मौत

प्रदेश के 10 जिलों में लंपी वायरस का कहर


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पशुपालन विभाग ने किया वैक्सीनेशन तेज
देहरादून। उत्तराखंड में एक बार फिर पशुओं की संभावित बीमारी लंपी स्किन डिजीज के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। वर्तमान स्थिति यह है कि रोजाना इसके करीब 450 मामले सामने आ रहे हैं, जिसने सरकार और पशुपालन विभाग की चिंताओं को बढ़ा दिया है। लगातार फैल रहे लंपी स्किन डिजीज के मामले को लेकर सरकार ने पशुओं के परिवहन पर रोक लगा दी है। प्रदेश के कुमाऊं क्षेत्र में लंपी वायरस के ज्यादातर मामले देखे जा रहे हैं। प्रदेश में आखिर क्या है लंपी स्किन डिजीज की स्थिति? इसे लेकर क्या है सरकार का रोडमैप? आइये आपको बताते हैं। दरअसल, पिछले साल उत्तराखंड में लंपी वायरस के करण सैकड़ों पशुओं की मौत हो गई थी। अब एक बार फिर प्रदेश में लंपी स्किन डिजीज ने आतंक मचाना शुरू कर दिया है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटे के भीतर 449 नए मामले सामने आए हैं। 5 मई से 16 मई तक 5798 पशुओं में लंपी स्किन डिजीज की पुष्टि हो चुकी है। प्रदेश में सक्रिय पशुओं की संख्या 2,212 है, जबकि पिछले 11 दिनों में 77 पशुओं की मौत हो चुकी है। इसके साथ ही अभी तक 7,86,151 पशुओं को वैक्सीन दी जा चुकी है।
बता दें लंपी डिजीज में पशुओं में शुरुआती अवस्था में त्वचा पर चेचक, नाक बहना, तेज बुखार जैसे लक्षण नजर आते हैं। वायरस के कारण पशुओं को काफी तेजी बुखार आता है। बुखार आने के बाद उनकी शारीरिक क्षमता, अचानक तेजी से गिरने लगती है। इसके कुछ दिनों बाद पशुओं के शरीर पर चकत्ते दिखने लगते हैं। लंपी डिजीज संक्रमित गाय के संपर्क में आने से दूसरी गायों में फैलती है। यह रोग मक्खी, मच्छर या फिर पशुओं में होने वाले जूं के खून चूसने के दौरान भी फैल सकता है। यही नहीं, दूषित गाय के सीधे संपर्क में आने से भी ये वायरस फैलता है।
प्रदेश के 10 जिलों में लंपी स्किन डिजीज फैल चुका है। सबसे अधिक पिथौरागढ़ जिले में 1663 मामले, बागेश्वर जिले में 1345 मामले, चंपावत जिले में 934 मामले, नैनीताल जिले में 721 मामले, अल्मोड़ा जिले में 523 मामले, रुद्रप्रयाग जिले में 282 मामले, चमोली जिले में 244 मामले, पौड़ी जिले में 56 मामले, उत्तरकाशी जिले में 16 मामले और टिहरी जिले में 14 मामले अभी तक सामने आ चुके हैं। देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंह नगर जिले में लंपी स्किन डिजीज का एक भी मामला सामने नहीं आया है।लंपी स्किन डिजीज से पशुओं की मौतों के मामले की बात करें तो अभी तक प्रदेश भर में 77 पशुओं की मौत हुई है। पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार चंपावत जिले में 20, बागेश्वर जिले में 17, पिथौरागढ़ जिले में 13, अल्मोड़ा जिले में 12, रुद्रप्रयाग जिले में 9 और नैनीताल जिले में 6 पशुओं की मौत अभी तक हो चुकी है। इसके साथ ही प्रदेश भर में 46,526 संवेदनशील पशु भी चिन्हित किए गए हैं। इसके साथ ही अभी तक 3509 पशु लंपी स्किन डिजीज से ठीक हो चुके हैं।
पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा लंपी स्किन डिजीज के रोकथाम को लेकर अगले एक महीने तक के लिए प्रदेशभर में पशुओं के परिवहन पर रोक लगाई गई है। इसके साथ ही सभी जिलों में वैक्सीन उपलब्ध कराई गई है। कुमाऊं क्षेत्र में सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं। जिसके चलते गढ़वाल क्षेत्र से अलग एक्स्ट्रा टीमों की तैनाती कुमाऊं में की गई है, जिससे सबसे अधिक इन्फैक्टेड क्षेत्र के पशुओं को जल्द से जल्द वैक्सीन लगाई जा सके। पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा पशुपालकों को लंपी स्किन डिजीज के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है।
यह बीमारी मक्खी और मच्छरों से काफी अधिक फैलती है। ऐसे में पशुपालक अपनी गौशालाओं में साफ-सफाई रखकर पशुओं को लंपी स्किन डिजीज से बचा सकते हैं। यही नहीं अधिकारियों को इस बाबत भी निर्देश दिए गए हैं कि जहां-जहां पशुओं को टीका लगाया जा रहा है, वहां मौके पर ही पशुओं का बीमा भी करा दिया जाये। जिससे अगर किसी पशु की क्षति होती है तो पालक को इंश्योरेंस का पैसा मिल सके। पशु बीमा में प्रीमियम का 90 फीसदी हिस्सा सरकार और 10 फीसदी हिस्सा पशुपालकों को भरना होता है।


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