उत्तराखंडभ्रष्टाचार
*दून के भूमाफिया में कोहराम, सीबीआई करे जांच, आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी की मेहनत ला रही रंग*
चाय बागान की भूमि के दस्तावेजों के छेड़छाड़ मामले में केस दर्ज, नौ रजिस्ट्रार और 28 लिपिक जांच के घेरे में
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देहरादून। चाय बागान और सीलिंग की जमीन के मामले में भूमाफिया और अफसरों की सांठगांठ का खुलासा हो गया है। शासन ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी को आदेश दिये हैं। भूमि रिकार्ड में हेराफेरी हुई है। हजारों करोड़ रुपये के इस खेल को उजागर करने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी का कहना है कि यह जमीन सरकार की है। जमीन के खुर्द-बुर्द होने से सरकार को करोड़ों की चपत लगी है। इस घोटाले के तार यूपी, दिल्ली और हरियाणा से भी जुड हैं। ऐसे में एसआईटी जांच की बजाए यह मामला सीबीआई को दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत हुई तो वह इस मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करेंगे।
दरअसल, आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने पिछले साल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी कि देहरादून में चाय बागान की जमीन की खरीद-फरोख्त चल रही है जो कि गैरकानूनी है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि 10 अक्टूबर 1975 के बाद चाय बागान की जमीन की खरीद-फरोख्त नहीं की जा सकती है। यदि ऐसा होता है तो यह जमीन स्वतः ही सरकार की हो जाएगी। एडवोकेट नेगी के अनुसार रायपुर, रायचकपुर, लाडपुर और नत्थनपुर समेत जिले में चाय बागान की सीलिंग की जमीन को खुर्द-बुर्द किया जा रहा है। इस मामले में देहरादून अपर जिलाधिकारी की कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है।
इस मामले को लेकर जिला प्रशासन भी लचर रवैया अपनाए हुए था। लेकिन अब सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और 1978 से 1990 के भू रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ की बात को स्वीकार किया है। कई बैनामों के पेपर बीच में से फाड़ दिये गये हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले की जांच के आदेश एसआईटी को दिये हैं। कोतवाली पुलिस में केस दर्ज किया गया है। इस मामले में नौ सब रजिस्ट्रार और 28 लिपिक जांच के घेरे में हैं।
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