नई दिल्ली
कोरोना से ठीक होने के बाद लोगों को PTSD का खतरा
गंभीर रूप से बीमार होने वाले कोरोना मरीजों का PTSD के लिए स्क्रीनिंग की जानी जरूरी
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नई दिल्ली, 29 जून। प्रमुख डॉक्टर्स ने कोरोना मरीजों को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि गंभीर रूप से बीमार होने वाले कोरोना मरीजों का PTSD (पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) के लिए स्क्रीनिंग की जानी जरूरी है। PTSD एक ऐसी मानसिक स्थिति होती है जो आमतौर पर दुर्घटना या बेहद बुरी स्थिति का सामना करने के बाद मरीजों में देखने को मिलती है।
ब्रिटेन में यूनिवर्सटी कॉलेज लंदन के एक्सपर्ट्स के नेतृत्व में बनाए गए कोविड ट्रॉमा रेस्पॉन्स वर्किंग ग्रुप ने कहा है कि कोरोना से गंभीर रूप से बीमार जिन लोगों का आईसीयू में इलाज किया जाता है, उन्हें PTSD से सबसे अधिक खतरा है।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट्स का कहना है कि गंभीर रूप से बीमार पड़ने वाले हजारों लोगों को PTSD से खतरा रहेगा। डॉक्टरों ने पिछली रिसर्च का भी हवाला दिया जिससे पता चलता है कि महामारी की वजह से गंभीर बीमार हुए 30 फीसदी लोगों में PTSD डेवलप हो गया था। वहीं, डिप्रेशन और Anxiety एक प्रमुख समस्या बन गई थी।
कोरोना से बीमार हुई ट्रेसी नाम की एक महिला का तीन हफ्ते तक हॉस्पिटल में इलाज चला। एक हफ्ते वह आईसीयू में रहीं। ट्रेसी ने कहा- वह स्थिति नर्क की तरह थी। मैंने लोगों को मरते हुए देखा। स्टाफ ने भी मास्क पहना था, आप वहां सिर्फ उनकी आंखें देख सकते थे। वहां बहुत अकेलापन और डराने वाली स्थिति थी। हॉस्पिटल से छुट्टी मिलने के बाद भी ट्रेसी को सोने में दिक्कत हो रही है और उन्हें मरने के ख्याल आते हैं।
ब्रिटेन के कोविड ग्रुप में शामिल साइकेट्रिस्ट माइकल ब्लूमफील्ड कहते हैं कि जिन मरीजों ने हॉस्पिटल में समय गुजारा है, उन्हें बहुत डरावनी स्थिति का सामना करना पड़ेगा. उन्हें लंबे वक्त तक के लिए दिक्कत हो सकती है। तनाव से जुड़ी मानसिक समस्याओं का वे सामना कर सकते हैं।
ब्रिटेन की प्रमुख स्वास्थ्य एजेंसी एनएचएस ने कहा है कि हॉस्पिटल में इलाज के बाद ठीक होने वाले मरीजों को फॉलो अप अप्वाइंटमेंट के लिए बुलाया जाएगा। उन्हें साइकोलॉजिकल सपोर्ट भी दिया जाएगा।
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