उत्तराखंड
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर तीर्थ नगरी में सीमित रूप से उपस्थित शिष्यों ने गुरु का पूजन कर लिया आशीर्वाद
गुरु ही शिष्य को सद् मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है -ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी
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ऋषिकेश,0 5 जुलाई । ( AKA) गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुलजार रहने वाली धार्मिक तीर्थ नगरी के सभी मठ मंदिर आश्रम देशभर में फैले कोरोना संक्रमण के चलते इस बार सीमित संख्या में उपस्थित भक्तों के अलावा सुनसान दिखाई दिए ,जिन्होंने (सोशल डिस्टेंसिंग) एकांतवास का पालन करते हुए सूक्ष्म रूप से अपने गुरुओं का पूजन कर गुरु शिष्य परंपरा का निर्वहन करनेे के साथ गुरु का आशीर्वाद भी प्राप्त किया । आषाढ़ मास की गुरु पूर्णिमा के अवसर पर प्रात 8:30 बजे से 10:30 बजे तक गुरु पूर्णिमा का महापर्व इस बार सभी मठ मंदिरों आश्रमों में सूक्ष्म रूप से मनाया गया ।जिसमें शिष्यों ने अपने गुरु का पूजन कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया ।जय राम आश्रम के संचालक पीठाधीश्वर ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने इस अवसर पर उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए कहा की गुरु परंपरा अनादि काल से चली आ रही है ,जिसका पा्लन आज भी गुरु व शिष्य द्वारा परंपरा के अनुसार किया जा रहा है ।उन्होंने कहा कि गुरु से ही शिष्य को सत्य मार्ग पर चलने का जहां रास्ता मिलता है। वही शिष्य को अज्ञानता के अंधकार से गुरु ही निकाल सकता है। लेकिन फिर भी शिष्य को सोच समझकर ही अपना गुरु बनाना चाहिए। इस दौरान आश्रम के आचार्य मायाराम के संचालन में आयोजित ब्रह्मचारी यों को जनेऊ धारण भी करवाया गया ।वही मायाकुंड स्थित कृष्ण कुंज आश्रम में उत्तराखंड पीठाधीश्वर स्वामी कृष्णाचार्य ,भगवान गिरी आश्रम में बाबा भूपेंद्र गिरी ,कैलाश तीर्थथ आश्रम स्वामी प्रेमानंद , स्वर्ग आश्रम स्थित गीता आश्रम में महामंडलेश्वर ब्रह्मलीन स्वामी वेद व्यासानंद, ब्रह्मलीन स्वामी शांतानंद महाराज की मूर्ति को उनके शिष्यों द्वारा तिलक कर गुरु परंपरा का निर्माण किया ।
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