उत्तराखंड
भारत के आखिरी गांव माणा में बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित
भारत के आखिरी गांव माणा में बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित
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गोपेश्वर। देश के अंतिम गांव और बदरीनाथ के निकट माणा गांव में गांव के लोगों के अतिरिक्त बाहरी लोगों के प्रवेश को वर्जित किया गया है। कोरोना संक्रमण से बचाव और सतर्कता के लिये ग्रामीणों ने यह निर्णय लिया है । गांव के प्रवेश द्वार पर ही हिन्दी अंग्रेजी भाषा में नोटिस बोर्ड चस्पा कर दिया गया है। देवस्थानम बोर्ड और सरकार के नये दिशा निर्देश के अनुसार अभी राज्य के लोग बदरीनाथ के दर्शन के लिये तो बदरीनाथ पहुंच रहे हैं। मगर बदरीनाथ से 3 किमी दूर स्थित माणा में यहां के ग्रामीण निवासियों के अतिरिक्त किसी को आने की अनुमति नही है । ऐसा ग्रामीणों ने गांव की पंचायत में बैठ कर सामुहिक निर्णय लिया है
माणा भारत का आखिरी गांव है । पुराणों में इसे मणि भद्र पुर कहा गया गया है । यह गांव भोटिया जन जाति के लोगों का मूल गांव है। बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने पर यहां के ग्रामीण अपने इस गांव में आकर खेती , किसानी और ऊनी हस्त शिल्प वस्त्रों का कार्य करते हैं । स्वभाव और प्रवृति से मेहनत कश धार्मिक परम्पराओं और मान्यताओं वाले माणा के निवासी शिक्षा, प्रशासन. चिकित्सा . बैंक समेत विभिन्न राजकीय और अलग अलग क्षेत्रों मे सेवा दे रहे हैं । यह गांव अपनी सांस्कृतिक वैभवता के कारण पर्यटन गांव भी घोषित हुआ है । पर कोरोना संकट संक्रमण से सतर्कता के लिये इस समय इस गांव में बाहरी लोगों का प्रवेश ग्रामीणों ने वर्जित करने का निर्णय लिया है । लगभग 1200 लोगों के इस गांव में मौजूदा वक्त में 290 से अधिक लोग रह रहे हैं।
माणा गांव के प्रधान पीताम्बर मोलफा ने कहा । हमने प्रशासन द्वारा बुलाई गई बैठक में पहले ही ग्रामीणों की इस भावना से अवगत करा दिया था बदरी नाथ की यात्रा शुरू करने का सरकार का अपना निर्णय है । पर माणा के ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि कोरोना संक्रमण से बचाव और सतर्कता के कारण अभी माणा गांव में बाहरी लोग नहीं आ सकते । यहां स्वास्थ्य उपचार की कोई ब्यवस्था नहीं है।
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