उत्तराखंडशहर में खास

बहुसंख्यकों पर वन विभाग की वक्र दृष्टि

वर्षों से काबिज लोगों को विभाग भेज रहा बेदखली का नोटिस, धर्म विशेष के लोगों पर उदार भाव


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ऋषिकेश, 31 जुलाई। एकन को मेवा मिलै, एक चना भी नाहि। कारन कौन बताइये कर चरनन की छाँह। बाबा नागार्जुन की इस कविता का मर्म इन दिनों वन विभाग के रवैये में साक्षात दिख रहा है। हालत ये है कि अफसर वर्षों से रह रहे बहुसंख्य समाज के लोगों को बेदखली का नोटिस भेज रहा है जबकि धर्म विशेष समाज के बाशिंदों पर रहम की बारिश की जा रही है। नियमों के अनुपालन का ये दोहरा रवैया राजाजी पार्क प्रशासन के चाल, चरित्र और चेहरे की चुगली करता दिख रहा है। राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क क्षेत्र में धर्म विशेष के लोगों पर वन विभाग की भरपूर कृपा बरस रही है। जिसके तहत वन विभाग धर्म विशेष के लोगों को भूमि बांटने के साथ ही रोजगार और मवेशियों के लिए चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने की तैयारियों में जुटा हुआ है। जबकि प्रशासन की ओर से पार्क क्षेत्र में वर्षों से काबिज बहुसंख्यकों को बेदखली का नोटिस थमाया जा रहा है।
इस संबंध में प्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने 20 जुलाई को विभाग के उच्च अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। जिसमें उन्होंने बताया कि प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखंड की अध्यक्षता में राजाजी टाइगर रिजर्व के गुजर परिवारों के पुनर्वास एवं अन्य समस्याओं के निस्तारण को लेकर अपर प्रमुख वन संरक्षक (प्रशासन, वन्यजीव सुरक्षा एवं आसूचना), निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व देहरादून व चीलावाली रेंज के तीन गुजर प्रतिनिधियों के साथ 3 जुलाई को बैठक की गई। साथ ही प्रमुख वन संरक्षक द्वारा गुर्जर बस्ती चीलावाली, राजाजी टाइगर रिजर्व के पूर्व में किए गए निरीक्षण के सापेक्ष निर्मत निरीक्षण टिप्पणी में अंकित निर्देशों की समीक्षा की गई।
जिसके बाद गुर्जर परिवारों के विस्थापन के लिए अंतिम रूप से तैयार 104 परिवारों की सूची में से 28 परिवारों को शीघ्र गैंडीखता गुर्जर बस्ती में विस्थापित किए जाने का निर्णय लिया गया है। बाकी बचे 78 परिवारों को भी चयन कर भूमि आवंटित की जाएगी। खास बात यह है कि गुर्जर प्रतिनिधियों की ओर से इन 28 परिवारों की सूची निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व को उपलब्ध नहीं कराने के बावजूद भी विभाग विशेष समुदाय को रोजगार देने के लिए सोसाइटी के गठन, मवेशियों के लिए उचित चिकित्सा सुविधाएं कराने, बेरोजगार युवाओं के लिए नेचर गाइड प्रशिक्षण और पूर्व में आवंटित प्लॉटों की सड़क के पक्की करण की तैयारियों में जुटा हुआ है। जिसके अनुपालन का मुख्य दायित्व प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक अमित वर्मा को सौंपा है।
इसके इतर राजाजी टाइगर रिजर्व से अलग किए गए कुनाऊ चौड़ में वर्षों से काबिज बहुसंख्यकों परिवारों को प्रशासन की ओर से बेदखली के नोटिस जारी किए जा रहे हैं। प्रशासन और वन विभाग की इस दोहरी नीति से सवाल खड़े होना लाजमी है। जबकि दूसरी ओर वन विभाग की ओर से भूमि छोड़कर जा चुके धर्म विशेष के उक्त 76 परिवारों के लौट के आने की स्थिति में समानांतर रूप से शाहमंसूर क्षेत्र में भूमि एवं मुआवजा या अनुदान के भुगतान के प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश जारी कर चुका है। विभाग की ओर से लिए गए इस निर्णय से राजनीति की बू आ रही है।

इनसेठ :
👉 विशेष से अनोखा प्रेम
एक तरफ वन विभाग की ओर से धर्म विशेष के परिवारों को मुफ्त में भूमि आवंटित की जा रही है। 1990 में पथरी/ गैंडीखता में जिन गुर्जर परिवारों को बसाया गया था, वह भूमि पर पहुंचे ही नहीं। लेकिन विभाग उन्हें भी भूमि आवंटित करने की तैयारियां कर रहा है।
वहीं दूसरी ओर कुनाऊ चौड़ में वर्षों से काबिज बहुसंख्यक परिवारों को बेदखली के नोटिस जारी कर कोर्ट चक्कर लगवाए जा रहे हैं।
जिससे विभाग और प्रशासन का विशेष समुदाय के प्रति अनोखा प्रेम साफ देखने को मिल रहा है।

👉बहादराबाद में सरकारी की भूमि पर अवैध कब्जा
पथरी/गैंडीखता में जिन गुर्जर परिवारों को बसाया गया था, वह बहादराबाद में गंगा किनारे सरकारी भूमि पर अवैध रूप से कब्जा किए हुए हैं। लेकिन इस अनोखे प्रेम के चलते उनको सरकारी भूमि से हटाने की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है और विभाग भूमि से कब्जा हटाने की बजाय मुफ्त में भूमि बांटने की तैयारियों में जुटा हुआ है।

6 लोगों ने मिलकर लिया इतना बड़ा निर्णय
विभाग के 3 उच्च अधिकारी और 3 गुजर प्रतिनिधियों ने मिलकर आखिर इतना बड़ा निर्णय कैसे ले लिया है। विभागीय अधिकारियों और प्रतिनिधियों की बैठक में लिए गए इतने बड़े निर्णय से मिलीभगत और भ्रष्टाचार की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इतने बड़े निर्णय पर लगी विभागीय उच्च अधिकारी की चिड़िया से राजनीति की बू आ रही है।


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