उत्तराखंड
उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों और कस्बों में खोलेंगे ‘किसान हाट एंड मार्ट’: भावना पांडेय
उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों और कस्बों में खोलेंगे ‘किसान हाट एंड मार्ट’: भावना पांडेय
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देहरादून । प्रसिद्ध समाजसेवी और उद्यमी भावना पांडेय का कहना है कि उत्तराखंड को आत्मनिर्भर बनाने का उनका संकल्प किसी भी हाल में पूरा होगा। पांडेय ने कहा कि उन्होंने महाराष्ट्र की कंपनी से करार किया है। ये कंपनी उत्तराखंड के ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में ‘किसान हाट एंड मार्ट’ नाम से बड़ें स्टोर्स खोलेगी। यह कॉन्सेप्ट उत्तराखंड की तस्वीर और तकदीर बदल देगा।
उद्यमी एवं समाजसेवी भावना पांडेय ने बताया कि आत्मनिर्भर उत्तराखंड तभी बन सकता है जब पहाड़ का किसान उत्पाद पैदा करेगा। वो उत्पाद सभी पैदा करेगा जब उसके उत्पादों को बाजार मिलेगा। और हम उसी के लिए काम कर रहे हैं। किसान हाट एंड मार्ट योजना इसकी के लिए बनाई गई है। इसके तहत किसान हाट एंड मार्ट शुरू करने वाली कंपनी पहाड़ के स्थानीय किसानों के उत्पादों को खरीदेगी और उन उत्पादों के बदले किसानों को उनकी जरूरत का अन्य सामान अपने स्टोर से देगी। इससे दो फायदे होंगे। एक तो किसान के स्थानीय उत्पादों को घर बैठे बाजार मिल जाएगा और दूसरा उसे उसकी जरूरत का सामान भी उसके घर पर ही उपलब्ध हो जाएगा। जिस किसान के पास पैसे नहीं होंगे और वह अपनी जरूरत का सामान खरीदना चाहेगा तो कैसे खरीदेगा। इसके लिए वो अपने स्थानीय उत्पाद को स्टोर पर बेच देगा और उसके बदले अपनी जरूरत का दूसरा सामान ले लेगा।
भावना पांडेय ने कहा कि पहाड़ में संसाधानों की कमी नहीं है। हमारे पहाड़ में तमाम तरह के जैविक उत्पाद पैदा होते हैं। किसान भले ही पहाड़ में किसानी से विमुख हो गए हैं लेकिन इस योजना से उनमें नई ऊर्जा आएगी और वे निश्चित ही अपनी खेती की ओर रुख करेंगे। हमारे किसान पहाड़ों में तमाम तरह की दालें, चौलाई, मंडुवा, झंगोरा, कौंणी, सोयाबीन, काले भट्ट, जखिया, गडेरी, पिंडालू, पहाड़ी तुमड़ी आलू, सूरजमुखी आदि की खेती करते हैं लेकिन इन उत्पादों को बड़ा बाजार नहीं मिलता। किसान हाट एंड मार्ट इसकी कमी को पूरा करेगा।
समाजसेवी और उद्यमी भावना पांडेय ने बताया कि ग्राउंड लेवल पर सारी तैयारियां हो चुकी हैं और अब जल्द ही कुछ ही महीनों में किसान हाट एंड मार्ट योजना धरातल पर दिखेगी। उन्होंने कहा कि हमारा आत्मनिर्भर उत्तराखंड का सपना हर हाल में पूरा होगा।
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