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देहरादून, 23 अक्टूबर ।उत्तराखण्ड भवन सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड से वन मंत्री हरक सिंह रावत की विदाई की चर्चाएं अभी थमी भी नहीं थी कि डा. रावत ने आज एक बार फिर से राजनैतिक गलियारों में यह कह कर सनसनी फैला दी कि वे वर्ष 2022 में चुनाव नहीं लड़ेंगे। डा. रावत के इस ऐलान को बार्ड से हटाये जाने पर नाराजगी के तौर पर देखा जा रहा है।
उत्तराखण्ड भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड अध्यक्ष पद से विदाई से राजनीति के गलियारों में सनसनी फैली हुई है। वहीं तरहकृतरह की चर्चाएं भी सियासी पारा चढ़ा रही हैं। वहीं अध्यक्ष पर से डा. हरक की विदाई के बाद भी दमयंती रावत के बोर्ड में बने रहने पर भी सियासी अटकलें तेज हो गई हैं कि जब काबीना मंत्री से बोर्ड अध्यक्ष की जिम्मेदारी वापस ले ली गई है। सरकार ने डा. रावत को अध्यक्ष पद से हटाने के बाद पूरा बोर्ड भंग कर दिया लेकिन सचिव दमयंती रावत को पद पर बनाए रखा। इसके चलते अब सवाल उठने लगे हैं कि सचिव पद पर तैनात दमयंती रावत की विदाई कब होगी।
वहीं आज इन अटकलों के बीच वन एवं पर्यावरण मंत्री डा. हरक सिंह रावत सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के कार्यालय पहुंचे। इस दौरान उन्होंने सचिव दमयंती रावत से भी मुलाकात की। बोर्ड कार्यालय में मीडिया से बातचीत में डा. हरक सिंह रावत ने कहा कि उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि वे तीस साल से विधायक हैं और चार बार कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। अब वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि वे राजनीति से सन्यास नहीं ले रहे है। राजनीति में रहेंगे लेकिन चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि यह आज का निर्णय नहीं है। चुनाव नहीं लड़ने का मन तो उन्होंने बहुत पहले बना लिया था। यह उनका मन है लेकिन कई बार पार्टी हाईकमान क्या निर्णय लेती है उसको मानना जरूरी हो जाता है। अगर कल पार्टी चुनाव लड़ने को कहती हैं तो इंकार भी चुनाव लड़ेंगे। उस समय पार्टी का निर्णय सर्वोपरि हो जाता है।
उन्होंने कहा कि अब और कितना चुनाव लड़ूंगा। 6 बार का विधायक रह चुका हूं और चार बार कैबिनेट मंत्री। अब और लोगों को भी मौका मिलना चाहिए। वहीं उनके इस निर्णय को देखते हुए चर्चाएं हैं कि अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद डा. रावत नाराज हैं और दबाव में हैं जिसके चलते उन्होंने चुनाव लड़ने से इंकार किया है। उनको नाराजगी है कि बोर्ड भंग करने या अध्यक्ष पद से हटाने से पहले उनको विश्वास में नहीं लिया गया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि इस मामले को गलत ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है। सरकार द्वारा कार्यकर्ताओं को दायित्व दिए जाते हैं जिससे कि सरकार पर कुछ बोझ कम हो सके। श्रम विभाग में दायित्व बदला गया है और इसे इसी रूप में देखा जाना चाहिए।
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