उत्तराखंड
दमयंती रावत के आगे बौनी साबित होती सरकारें पहले कांग्रेस, अब भाजपा सरकार ने साधी चुप्पी

देहरादून। उत्तराखंड की सरकार पिछले साढे तीन साल से बहुत जोर-शोर से जीरो टालरेंस ऑन करप्शन का नारा देती आ रही है। लेकिन पावर कॉरीडोर में पावरफुल लोगों के इस जीरो टालरेंस के कोई मायने नहीं है। ऐसा ही एक नाम है दमयंती रावत का, जो पिछली कांग्रेस सरकार में भी नियम-कानूनों को धता बताकर मन माफिक सरकारी पोस्ट पर काबिज रहीं, तो अब जीरो टालरेंस वाली त्रिवेंद्र सरकार भी उनके आगे नतमस्तक है।
उत्तराखंड की सियासत इन दिनों खूब गरम है। मामला है उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड का। उत्तराखंड सरकार ने बोर्ड के अध्यक्ष पद पर काबिज श्रम मंत्री हरक सिंह रावत को हटा कर पूरे बोर्ड का ही पुनर्गठन कर डाला। कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद पर मंत्री की जगह श्रम बोर्ड के अध्यक्ष दायित्वधारी शमशेर सिंह सत्याल को बैठा दिया, तो इससे श्रम मंत्री हरक सिंह रावत खासे नाराज हैं। वहीं, हाल ही में उन्होंने कहा था कि मैं 2022 का चुनाव नहीं लड़ना चाहता हूं। अब इसको इसी नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। इसी बोर्ड में सचिव पद पर तैनात हैं दमयंती रावत।