उत्तराखंड को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत
अब वन क्षेत्रों में हो सकेंगे ये 44 रुके हुए काम अवैध कटान के कारण लगाई गई थी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तो के साथ दी निर्माण कार्यो की अनुमति
देहरादून। साल 2023 में ही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क और राजाजी नेशनल पार्क के साथ-साथ राष्ट्रीय उद्यानों में पूरी तरह से किसी भी निर्माण कार्य पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह रोक उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क के पाखरो रेंज में अवैध कटान और अवैध निर्माण कार्य होने की सूचना के लगाईं थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि आगामी आदेशों तक किसी तरह का कोई भी छोटा बड़ा निर्माण कार्य उद्यान क्षेत्रों में नहीं होगा। लेकिन अब केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के साथ-साथ उत्तराखंड वन मंत्रालय के आग्रह पर इस आदेश पर छूट देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन 44 कार्यों को करने की अनुमति दे दी है, जो फिलहाल बेहद जरूरी हैं।
सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले पर बेहद गंभीर बना हुआ था। साल 2023 के फरवरी महीने में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व क्षेत्र के कालागढ़ रेंज में बड़े क्षेत्र में अवैध निर्माण और पेड़ों का अवैध कटान हुआ था। इस पूरे मामले को राज्य का वन मंत्रालय और उससे जुड़े कुछ अधिकारी दबाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल एंपावर्ड कमेटी ने इस पूरे मामले को जाना और अध्ययन करने के बाद सुप्रीम कोर्ट को इसकी पूरी रिपोर्ट सौंपी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रमुख वन सचिव आरके सुधांशु ने कहा है कि संरक्षित क्षेत्र में जो कार्य रुके हुए थे, अब उनको दोबारा से पूरा किया जा सकेगा। यह राज्य सरकार के साथ-साथ जीव जंतुओं के लिए भी बेहतर रहेगा। हम जल्द से जल्द रुके हुए कार्यों को पूरा करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ निर्माण कार्यों की अनुमति दी है।
राष्ट्रीय उद्यानों में निर्माण कार्य पूरे करने की मिली छूट
सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई करते हुए उत्तराखंड के साथ-साथ अन्य राष्ट्रीय उद्यानों में हो रहे निर्माण को तत्काल प्रभाव से रोकने का निर्देश दिया। इस पूरे मामले पर उत्तराखंड में कई अधिकारियों पर गाज भी गिरी। लेकिन अब राज्य के वन प्रमुख ने केंद्रीय वन मंत्रालय के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा और यह बताया कि उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क, राजाजी नेशनल पार्क के साथ-साथ अन्य वन क्षेत्रों में कई तरह के कार्य होने हैं, जो सर्दियों के लिहाज से बेहद जरूरी हैं। आने वाले समय में उनका उपयोग दूसरे मौसम में भी हो सकेगा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को बड़ी बारीकी से जाना और राज्य में उन कार्यों को पूरा करने की अनुमति दी है, जो पहले से चल रहे थे और उन्हें रोक दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी तरह का कोई भी नया कार्य या नया आदेश मान्य नहीं होगा।
ये रूके हुए थे काम
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि किसी तरह का कोई भी ऐसा काम नहीं किया जाएगा, जिससे वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचे।
बहुचर्चित पाखरो टाइगर सफारी प्रकरण के बाद जिस तरह से लापरवाही बरती गई है, वह दोबारा से सामने ना आए।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जो कार्य दोबारा से शुरू हो सकेंगे उन कार्यों में।
केदारनाथ वन्य जीव क्षेत्र में कंचुलाखर्क और भुलकाना में जल स्रोत का संरक्षण और क्षेत्र में पेट्रोलिंग के लिए एक कैंप बनाने की अनुमति मिली है।
गंगोत्री नेशनल पार्क में भोजवासा और नेलांग के वन क्षेत्र में चैकी बनाई जा सकेगी।
नंदा देवी नेशनल पार्क में रिखोटानाला में भूमि संरक्षण का काम हो सकेगा।
कुछ कार्य फूलों की घाटी में भी रुके हुए हैं, जिनको पूरा किया जा सकेगा
कॉर्बेट नेशनल पार्क में सबसे अधिक कार्य होने हैं जिसमें सोलर पंप का लगाना
वॉच टावर बनाना, दीवार का निर्माण
जलापूर्ति के कार्य के साथ-साथ अन्य कई कार्य भी हो सकेंगे।
इसी तरह से राजाजी नेशनल पार्क में भी दीवारों का बनाना, फायर स्टेशन का विस्तारीकरण, रवासन क्षेत्र में सरकारी कार्यालय का खुलना और इससे जुड़े आठ कार्य और भी बताए गए हैं।