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रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में आगे बढ़ेगा उत्तराखंडः धामी

सीएम ने ऊर्जा विभाग की परियोजनाओं का किया लोकार्पण

पंचामृत कार्ययोजना में साल 2030 तक 500 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन का रखा लक्ष्य
देहरादून। उत्तराखंड में वैकल्पिक ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने के लिए उत्तराखंड सरकार लगातार जोर दे रही है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को उरेडा, ऊर्जा एवं वैकल्पिक ऊर्जा विभाग की तमाम परियोजनाओं का लोकार्पण और शुभांरभ किया, ताकि प्रदेश की जनता अधिक से अधिक रिन्यूएबल एनर्जी का इस्तेमाल कर सके।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देश-दुनिया में रिन्यूएबल एनर्जी के असीमित स्त्रोत हैं। साथ ही इसका पर्यावरण पर भी कोई फर्क नहीं पड़ता है। यही वजह है कि सरकार ऊर्जा आपूर्ति को पूरा करने के लिए वैकल्पिक ऊर्जा पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि जब राज्य गठन हो रहा था, उस समय ये अवधारणा थी कि उत्तराखंड राज्य ऊर्जा प्रदेश बनेगा। उस दिशा में आगे बढ़े हैं, लेकिन ऊर्जा के क्षेत्र में अभी बहुत काम करना है। प्रदेश में ऊर्जा की बहुत आवश्यकता है। ऐसे में इसके लिए अन्य ऊर्जा विकल्पों पर भी विचार करना है। जिसमें रिन्यूएबल एनर्जी का महत्व बहुत अधिक है।
धामी ने कहा कि नवीनीकरण ऊर्जा पर्यावरण को संरक्षित रखने में सक्षम है। जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में रिन्यूएबल एनर्जी उभरा है। पंचामृत कार्ययोजना के तहत भारत में साल 2030 तक 500 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन का लक्ष्य रखा है। साथ ही एक लंबी दीर्घकालिक योजना के तहत साल 2070 तक देश को कार्बन उत्सर्जन मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि समुचित दुनिया को शुद्ध हवा, पानी और अच्छा पर्यावरण देने का काम उत्तराखंड कर रहा है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि रिन्यूएबल एनर्जी के प्रति लोगों का रुझान बढ़े, इसके लिए जरूरी है कि सरकारी दफ्तरों से इसकी शुरुआत की जाए। साथ ही सीएम ने ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम से कहा कि मुख्यमंत्री आवास और उनके निजी आवास पर भी मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के तहत सोलर पैनल लगाया जाए, इसकी जो भी फीस होगी वह खुद भरेंगे। उन्होंने कहा कि कैबिनेट मंत्री और विधायक भी अपने आवासों पर सोलर पैनल लगवाएं, क्योंकि इसका एक बड़ा संदेश जनता के बीच जाएगा।
ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना को 2020 में शुरू किया गया था, लेकिन योजना की गाइडलाइन में कुछ कमियां होने के चलते सही ढंग से लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाया। ऐसे में इस योजना के तहत 2020 से 2023 तक 148 लोगों ने ही प्लांट लगाए, जिसकी कुल क्षमता 3।5 मेगावाट है। 2023 में एक बार मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना की गाइडलाइन को ठीक किया गया, जिसका नतीजा है कि मात्र एक साल में 750 लोगों को 133 मेगावाट क्षमता का अलॉटमेंट ऑर्डर हो चुके हैं। साथ ही तमाम लोगों ने आवेदन किए हैं, जिसका परीक्षण किया जा रहा है।

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