देहरादून। उत्तराखंड में आवारा पशुओं की समस्या वैसे तो कोई नई बात नहीं है, लेकिन पहली बार पशुपालन विभाग मामले में असहाय होता दिखाई दिया है। विधानसभा में उठे सवालों के बाद विभागीय मंत्री ने साफ किया है कि बिना आम लोगों के सहयोग के इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता। ऐसे में लोगों को ही अपनी मानसिकता बदलनी होगी।
उत्तराखंड में आवारा पशुओं की समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। स्थिति यह है कि प्रदेश में अब 27,000 आवारा पशु सड़कों पर घूम रहे हैं। इसके कारण यातायात की समस्या होने के साथ ही सड़क दुर्घटनाएं भी हो रही हैं। बड़ी परेशानी यह है कि राज्य में सरकार के पास इतनी गौशालाएं ही नहीं हैं कि इन निराश्रित पशुओं को रखा जा सके। हालांकि राज्य पशुपालन विभाग 70 नई गौशालाएं बनाने की तैयारी कर रहा है, लेकिन इनके बनने के बाद भी इन सभी आवारा पशुओं को रखना नामुमकिन है।
पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि ऐसी समस्या से निजात पाने के लिए केवल आम लोगों की मदद और उनकी सोच ही मददगार हो सकती है। पशुपालन विभाग ने अब तक करीब साढ़े तीन हजार आवारा पशुओं को गौशालाओं में भेजा है। इसके अलावा राज्य सरकार ने पहली बार इसके लिए पॉलिसी भी बनाई है। उन्होंने कहा कि 70 गौशालाओं में से 52 गौशालाओं की डीपीआर बनाई जा चुकी है। जिसके लिए 17 करोड़ रुपए स्वीकृत भी किए जा चुके हैं। इसके अलावा सभी आवारा पशुओं को गौशालाओं में रखना फिलहाल मुमकिन नहीं है। ऐसे में आम लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी, ताकि गौवंश को सुरक्षित रखा जा सके।