उत्तराखंडभ्रष्टाचार

*पेयजल निगम में उड़ रही अधिप्राप्ति नियमावली की धज्जियां*

इंजीनियर का कारनामा प्रर्फाेमेंश सिक्योरिटी तथा एडिशनल प्रर्फाेमेंश सिक्योरिटी में सरकार को लगाया चूना

प्रर्फाेमेंश सिक्योरिटी तथा एडिशनल प्रर्फाेमेंश सिक्योरिटी 7.49 करोड़ से घटाकर की 2.81 करोड़
देहरादून। उत्तराखण्ड पेयजल निगम में सभी निविदाओं को स्वीकृत व अस्वीकृत करने के लिए उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली 2017 लागू की गई है। लेकिन उत्तराखण्ड पेयजल निगम में उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावाली की खुली धज्जियां उड़ाई जा रही है। उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली की धज्जियां इंजीनियर संजय सिंह मनमाने ठंग से उड़ा रहे हैं। संजय सिंह अपने चहेते ठेकेदारों को सीधा लाभ पहुंचाने के लिए निविदा स्वीकृत कर रहे है और जो उनके चहेते ठेकेदार नहीं है उनके अनुबन्ध तक निरस्त करने का कार्य कर रहे हैं। संजय सिंह मनमाने ठंग से प्रर्फाेमेंश सिक्योरिटी तथा  एडिशनल प्रर्फाेमेंश का निर्धारण कर रहे हैं। जबकि प्रर्फाेमेंश सिक्योरिटी तथा एडिशनल प्रर्फाेमेंश सिक्योरिटी का निर्धारण करने का अधिकार अधीक्षण अभियन्ता को होता है।
खाता न बही जो इंजीनियर संजय सिंह कहे वहीं सही ऐसा कारनामा उत्तराखण्ड पेयजल निगम में चल रहा है। संजय सिंह मनमाने ठंग से प्रर्फाेमेंश सिक्योरिटी तथा एडिशनल प्रर्फाेमेंश सिक्योरिटी का निर्धारण कर रहे हैं। संजय सिंह ने सरकार को चूना लगाते हुए अपने चहेते ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए प्रर्फाेमेंश सिक्योरिटी तथा एडिशनल प्रर्फाेमेंश सिक्योरिटी 7.49 करोड़ से घटाकर 2.81 करोड़ कर दी। यह सीधे सीधे तौर पर ठेकेदार को लाभ पहुंचाया गया है वह भी राजधानी देहरादून में हो रहे कार्य में किया गया है। संजय सिंह मनमाने तरीके से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बिना किसी कारण के ठेकेदारों के 29 अनुबंध निरस्त कर दिए थे। अधिशासी अभियन्ता से अधीक्षण अभियन्ता में पदोन्नति होने के उपरान्त भी उन्होंने पीआईयू रूड़की में अपने चहेते ठेकेदार को अधिशासी अभियन्ता बन 50 लाख का भुगतान किया। उनके कारनामों की शिकायतें सीएम पोर्टल पर दर्ज कराई गई है। संजय सिंह इतनी पहुंच रखते है कि सीएम के यहां की गई शिकायतों पर भी कोई जांच नहीं हो रही है। अगर सूत्रों की माने तो पेयजल सचिव अरविंद सिंह हयांकी का उनके पर सीधे तौर पर हाथ है इसलिए उन्हें इतने बड़े-बड़े कारनामें करने के बाद भी अभयदान मिला हुआ है।
यहां सवाल यह उठता है कि जब सीएम पोर्टल पर की गई सीधी शिकायतों को संजय सिंह जैसे अधिकारी दबाने में कामयाब हो जाते हैं तो जनता को न्याय कहां से मिलेगा। भ्रष्टाचार और अफरशाही पर कैसे रोक लगेगी।

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