गंभीर रोगियों की जीवनरक्षा हेतु हिम्स जौलीग्रांट में ईसीएमओ कार्यशाला
ईसीएमओ की उन्नत तकनीकों पर प्रशिक्षण कार्यशाला, 60 प्रतिभागियों ने लिया हैंड्स ऑन प्रशिक्षण

डोईवाला। हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (हिम्स) जौलीग्रांट के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग द्वारा आईएससीसीएम देहरादून शाखा के सहयोग से एक्सट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (ईसीएमओ) पर कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। कार्यशाला में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने प्रतिभागियों को इस उन्नत जीवनरक्षक तकनीक का हैंड्स-ऑन प्रशिक्षण प्रदान किया।
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) के आदिकैलाश सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि एवं महानिदेशक शैक्षणिक विकास डॉ. विजेन्द्र चौहान ने कहा कि ईसीएमओ गंभीर रूप से प्रभावित फेफड़ों और हृदय वाले रोगियों के लिए सबसे उन्नत जीवनरक्षक सहायता प्रणालियों में से एक है। उन्होंने ईसीएमओ तकनीक में हालिया प्रगति तथा प्रत्यारोपण चिकित्सा के लिए एक सेतु के रूप में इसकी बढ़ती आवश्यकता पर प्रकाश डाला।विशिष्ट अतिथि तथा हिम्स जौलीग्रांट की प्रिंसिपल डॉ. रेनू धस्माना ने उत्तराखंड में ईसीएमओ सेवाओं के महत्व और ईसीएमओ रोगियों के प्रबंधन में नर्सिंग स्टाफ की अहम भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यद्यपि ईसीएमओ एक जटिल प्रक्रिया है, लेकिन सही प्रबंधन के साथ इसके परिणाम अत्यंत सकारात्मक होते हैं।आयोजन समिति की अध्यक्ष डॉ. सोनिका अग्रवाल ने बताया कि दो दिवसीय कार्यशाला में लगभग 60 प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्हें डॉ. शिखा सचान, डॉ. दीपांजन चटर्जी, डॉ. रिचा लोहानी, डॉ. आदित्य जोशी, डॉ. हरीश महेश्वारप्पा, डॉ. अक्षय चौहान, डॉ. नरेंद्र रंगटा, डॉ. अंकित अग्रवाल, डॉ. शांतनु बेलवाल, डॉ. शालीन भटनागर, डॉ. नूपुर, डॉ. राहुल चौहान और डॉ. गौरव जैन द्वारा प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया गया।कार्यक्रम के दौरान निदेशक, अस्पताल सेवाएं डॉ. हेम चंद्रा, तथा आयोजन समिति के सदस्य—डॉ. नंद किशोर, डॉ. सोनू समा, डॉ. वीणा बोसवाल, डॉ. सौरभ कुमार और डॉ. अमित कुमार लाल—उपस्थित रहे।





