
कोर्ट पहुंची और इसके बाद 2015 में आईटीआईटी कानपुर के विनोद तारे की अध्यक्षता में दूसरी कमेटी बनाई गई। इस कमेटी ने भी जल विद्युत परियोजनाओं के चलते विभिन्न खतरों की आशंकाओं को व्यक्त करते हुए परियोजनाओं को शुरू करने के दावे के खिलाफ अपनी रिपोर्ट दी।
7 परियोजनाओं की मिली मंजूरी
देहरादून। इसके बाद भी उत्तराखंड सरकार समेत विभिन्न पक्षकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते रहे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाइड्रोलॉजी एक्सपर्ट बीपी दास की अध्यक्षता में साल 2020 में तीसरी कमेटी को परियोजनाओं के लिए रिपोर्ट तैयार करने का काम दिया। इस कमेटी ने राज्य में 28 परियोजनाओं को शुरू करने की सिफारिश की। कमेटी की सिफारिश के बाद केंद्र सरकार ने उन परियोजनाओं को प्रमुखता देते हुए आगे बढ़ाने की सहमति दी जिन पर काम शुरू हो चुका था। केंद्र ने ऐसी 7 परियोजनाओं को मंजूरी दी।
कमेटी ने दी 5 परियोजनाओं पर मंजूरी, मंत्रालय से मंजूरी बाकी
देहरादून। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला तब कानूनी रूप से और आगे बढ़ गया, जब कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि कमेटी ने जब 28 परियोजनाओं को शुरू करने की सिफारिश की है, तो केवल सात परियोजनाओं पर ही केंद्र ने क्यों सहमति दी। इसके बाद केंद्रीय कैबिनेट सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई, जिसे इन परियोजनाओं पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया। हालांकि इस समिति ने पांच परियोजनाओं को ही यह कहते हुए हरी झंडी दी कि इन पांच परियोजनाओं से होने वाला लाभ संभावित नुकसान से ज्यादा है। हालांकि इन 5 परियोजनाओं पर अभी केंद्र (जल शक्ति मंत्रालय) का अंतिम निर्णय होना है। साथ ही इसपर सुप्रीम कोर्ट में भी जुडिशियल रिव्यू होना बाकी है। वैसे तो उत्तराखंड राज्य 54 परियोजनाओं की पैरवी कर रहा था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ने 28 परियोजनाओं को ही मंजूरी दी थी। हालांकि इसके बावजूद जल शक्ति मंत्रालय इन परियोजनाओं के हक में नहीं है। जिन पांच परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, उनमें दो परियोजनाएं बड़ी हैं तो तीन परियोजनाएं बेहद छोटी हैं। इन पांच परियोजनाओं के शुरू होने से राज्य को करीब 600 मेगावाट बिजली मिल सकेगी।