प्रशासन का प्रयास, यात्रियों को मिले बेहतर सुविधाएं
मानसून सीजन में भी प्रतिदिन पहुंचे रहे छह हजार तीर्थयात्री
देहरादून। केदारनाथ धाम की यात्रा को शुरू हुये एक माह बीस दिन का समय हो गया है और 50 दिन की यात्रा में रिकार्ड दस लाख से अधिक भक्तों ने बाबा केदार के दर्शन किये । केदारनाथ यात्रा के इतिहास में सबसे अधिक भक्त इस बार केदारनाथ धाम पहुंचे हैं। अभी भी भक्तों के आने का सिलसिला लगातार जारी है। मानसून सीजन शुरू होने के बाद भी प्रत्येक दिन छह हजार के करीब भक्त केदारनाथ धाम पहुंच रहे हैं। हालांकि पैदल मार्ग सहित धाम में भक्तों को हर सुविधा मुहैया कराये जाने को लेकर प्रशासन की ओर से लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।
केदारनाथ धाम की यात्रा इस बार नये कीर्तिमान स्थापित कर रही है। इस बार बाबा केदार के कपाट पिछले वर्ष की तुलना में काफी देरी से खुले, जबकि मानसून सीजन भी जल्दी आया, मगर बावजूद इसके बाबा केदार के दरबार आने वाले भक्तों ने एक नया रिकार्ड बना दिया। उत्तराखंड के चारो धामों में सबसे कठिन केदारनाथ धाम की यात्रा है और सबसे अधिक संख्या में भक्त भी केदारनाथ ही पहुंच रहे हैं। पहली बार केदारनाथ यात्रा के इतिहास में पचास दिनों की यात्रा में दस लाख के करीब भक्त केदारनाथ पहुंचे हैं। अभी भी यात्रा को चार माह का समय बचा हुआ है, ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि इस बार यात्रा का आंकड़ा पच्चीस लाख पार पहुंचेगा। बीच में प्रदेश सरकार की ओर से यदि ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन बंद नहीं किये जाते और आधे रास्ते से यात्रियों को वापस नहीं भेजा जाता तो यात्रियों को आंकड़ा काफी अधिक होता।
केदारनाथ धाम जैसी विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले क्षेत्र में अधिक तीर्थ यात्रियों के पहुंचने के बाद भी प्रशासन की ओर से बेहतर सुविधाएं देने का प्रयास किया जा रहा है। इस बार यात्रियों को सबसे अधिक मदद आस्था पथ से मिल रही है। जबकि पैदल मार्ग और धाम में जगह-जगह बनाये गये रेन शेल्टर भी यात्रियों के लिये मददगार साबित हो रहे हैं। यात्रियों को पैदल मार्ग और धाम में एलईडी टीवी के जरिये मौसम, स्वास्थ्य सहित अन्य लाभकारी जानकारियां लगातार दी जा रही हैं। जबकि सीसीटीवी कैमरों के जरिये पूरी यात्रा पर नजर रखी जा रही है। पैदल मार्ग पर इस बार साफ-सफाई की भी अच्छी व्यवस्था की गई हैं। घोड़े-खच्चरों की लीद का निस्तारण सुलभ शौचालय के सफाई कर्मचारियों नेत्वरित गति से किया जा रहा है। इस बार पैदल मार्ग पर कही भी घोड़े-खच्चरों को नहीं बांधा जा रहा हैं घोड़े-खच्चरों के लिये अलग से स्थान चिन्हित किये गये हैं।