अनुमान के मुबातिक 2 लाख से अधिक की भिक्षा प्रतिदिन मिलती है
नगर निगम व समाज कल्याण विभाग ने नहीं कराया भिखारियों का सर्वे
देहरादून। उत्तराखण्ड में बढ़ती भिखारियों की संख्या को लेकर कोई सर्वे नहीं कराया गया है। यहां पर अधिकतर बाहरी राज्यों के भिखारी भीख मांगने आते है और भीख मांगने के साथ साथ अपराधिक घटनाओं को भी अंजाम देते हैं लेकिन भिखारियों का सर्वे हो जाए तो यहां कुछ हद तक अपराधिक घटनाओं पर रोक लग सकती है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड के पडोसी राज्यों से भिखारी प्रतिदिन यहां आते है और लाखों रूपये की भीख प्रतिदिन उन्हें प्राप्त होती है। राजधानी देहरादून में कुल कितने भिखारी है इस सर्वे न तो कभी नगर निगम ने कराया और न ही कभी समाज कल्याण ने इस ओर कोई इस पर कार्रवाई की है।
उत्तराखण्ड में पड़ोसी राज्य के जनपद बिजनौर, सहारनपुर, दिल्ली व बिहार के लोग भीख मांगन के लिए देहरादून में आते है और लगभग लाखों रुपये की भीख इन्हें मिलती है। सैकड़ों की संख्या में यहां भिखारी पहंुचते हैं और प्रत्येक भिखारी लगभग 2 हजार रुपये प्रतिदिन भीख मांगता है। भीख मांगने वालों में महिला, पुरूष व बच्चे सभी शामिल है। दिव्यांग भीख मांगे तो वह बात अलग है लेकिन इस आसान काम को वह लोग भी परिवार सहित अपना रहे है जो हर तरह से स्वस्थ्य हैं।
भिखारी भीख मांगन के साथ साथ अपराधिक घटनाओं को अंजाम देते है और फरार हो जाते हैं। नशे के अवैध कारोबार में भी यह भिखारी अपनी पूरी भूमिका निभा रहे हैं। भिखारी चरस व अफीम भी बेचने का काम कर रहे हैं।
राजधानी देहरादून व उत्तराखण्ड में बाहरी लोगों को लेकर विरोध हो रहा है। जो परिवार सहित उत्तराखण्ड में आ रहे है उनसे तो प्रदेश सुरक्षित रह सकता है लेकिन जो भीख मांगने आते है उनसे कैसे सुरक्षित हो सकता है। प्रदेश व प्रदेशवासियों की सुरक्षा को लेकर विभाग उदासीन हैं। बढ़ती भिखारियों की संख्या को लेकर नगर निगम व समाज कल्याण विभाग अनदेखी कर रहा है। न तो नगर निगम व न ही समाज कल्याण विभाग ने भिखारियों को लेकर कोई सर्वे कराया है।
भिक्षावृत्ति रोकने के लिए डीएम के आदेश की हो रही अनदेखी
देहरादून। जिलाधिकारी सविन बंसल ने राजधानी देहरादून के जिलाधिकारी का पद ग्रहण करते ही राजधानी के सभी चौक पर भिखारियों पर नजर रखने व भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए हर चौक पर होमगार्ड तैनात करने के लिए कहा था लेकिन शायद जिलाधिकारी के आदेश फाइलों में ही दबकर रहे गए है। किसी भी चौक पर कोई होमगार्ड तैनात नहीं किया गया है। राजधानी के हर चौक पर भिखारियों का जमावड़ा लगा रहता है।
राजधानी में नहीं है कोई भिक्षुग्रह
देहरादून। भिक्षावृत्ति रोकने के लिए राजधानी देहरादून में भिखारियों को रखने के लिए कोई भिक्षुग्रह नहीं है। अगर राजधानी की पुलिस किसी भिखारी को पकड़ भी लेती है तो उसे हरिद्वार में भिक्षुग्रह में भेजना पड़ता है इसलिए भी पुलिस केवल खाना पूर्ती के लिए अभियान चलाकर इतिश्री कर लेती है।
जाहिद अली