
त्रासदी ने प्रदेश के कई इलाकों का भूगोल बदलकर रख दिया
आपदा में घायलों को आंकड़ा हुआ 107 से पार
देहरादून। इस साल उत्तराखंड के लिए मॉनसून सीजन आफत भरा रहा है। मॉनसून उत्तराखंड को कई ऐसे जख्म दे गया है, जिन्हें भरने में न जाने कितने साल लग जाएंगे। कुछ इलाकों में तो ऐसी त्रासदी आई है, जिनसे पूरे इलाके का भूगोल ही बदल कर रख दिया। गढ़वाल हो या फिर कुमाऊं उत्तराखंड के दोनों मंडलों में बारिश ने इस बार जमकर तांडव मचाया है, जिसने कई लोगों की जान ली है। वहीं कई लोग तो अभी भी लापता हैं।
उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल बारिश ने अभी तक 75 लोगों की जान ली है। वहीं करोड़ों रुपए का नुकसान भी हुआ है। 90 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। घायलों की बात की जाए तो उनका आंकड़ा भी 107 के पार है, जिनको खोजने के लिए अलग-अलग जगह पर कई एजेंसियां सर्च ऑपरेशन चला रही हैं।
इन आपदाओं ने न सिर्फ इंसान, बल्कि मवेशियों की बड़ी संख्या में मौत हुई है। 1430 से अधिक बेजुबान अपनी जान गवा चुके हैं। जबकि 226 मकान पूरी तरह से इस आसमानी बारिश में तबाह हुए हैं। लगभग 31 घर प्रदेश में अलग-अलग जगह पर ऐसे भी हैं, जहां पर दरार या गंभीर क्षति पहुंची है। वहीं 1828 मकान ऐसे हैं, जिन्हें मरम्मत की मानसून के बाद दरकार होगी।
190 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि को भी इस बारिश ने काफी नुकसान पहुंचा है, जिससे किसानों की पूरी तरह से कमर टूट गई है। आपदा ग्रस्त कई इलाके अभी भी अपने जिला और तहसील मुख्यालय से कटे हुए हैं।
उत्तराखंड शासन मॉनसून रुकने के बाद सभी जिला अधिकारियों से अपने-अपने जनपदों में हुए नुकसान का ब्यौरा मांग रहा है। मुख्य सचिव आनंद वर्धन की तरफ से सभी विभागों को पहले ही यह दिशा-निर्देश दे दिए गए थे कि अपने-अपने विभागों में हुए नुकसान की पूरी जानकारी शासन को मुहैया कराए।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद वर्धन के मुताबिक उत्तराखंड में जिन जगहों पर लोगों का पुनर्वास होना है, उनके पुनर्वास का प्लान तैयार किया जा रहा है। वहीं नुकसान का आकलन करके केंद्र सरकार से सहायता का आग्रह किया जाएगा। जल्द ही केंद्र सरकार को राज्य में हुए नुकसान का प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसके बाद केंद्र से यही उम्मीद है कि वो आपदा मद से राहत राशि देंगे।