
सरकार ने पुनर्निर्माण और पुनर्वास की दिशा में भी तेजी से कदम बढ़ाए
राज्य में अर्ली वार्निंग सिस्टम को सुदृढ़ किया गया
देहरादून। उत्तराखंड ने कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया है। लगातार हो रही अतिवृष्टि, भूस्खलन, बादल फटना, बाढ़ और ग्लेशियर टूटने जैसी घटनाओं ने राज्य की भौगोलिक संवेदनशीलता और आपदा प्रबंधन की चुनौतियों को एक बार फिर सामने ला खड़ा किया। इन कठिन परिस्थितियों में उत्तराखंड सरकार ने जनता की सुरक्षा, त्वरित राहत, पुनर्वास और दीर्घकालिक आपदा प्रबंधन को सर्वाेच्च प्राथमिकता देते हुए ठोस और प्रभावी कदम उठाए हैं।
आपदा के दौरान सरकार ने सबसे पहले प्रभावित क्षेत्रों में तुरंत राहत पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित की। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल, पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट पर रखा गया। प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हेलीकॉप्टरों की मदद से एयरलिफ्ट ऑपरेशन चलाए गए। आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं को सक्रिय किया गया और मोबाइल मेडिकल यूनिट्स को सीधे प्रभावित क्षेत्रों में भेजा गया, जिससे घायलों और बीमार लोगों को त्वरित उपचार मिल सके। सरकार ने राहत शिविर स्थापित कर वहां भोजन, स्वच्छ पेयजल, दवाइयाँ, कपड़े और आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराईं। जिला प्रशासन को अतिरिक्त आपातकालीन कोष उपलब्ध कराए गए ताकि स्थानीय स्तर पर राहत कार्यों की गति तेज की जा सके।
राहत कार्यों के साथ-साथ सरकार ने पुनर्निर्माण और पुनर्वास की दिशा में भी तेजी से कदम बढ़ाए। आपदा प्रभावित परिवारों को मुख्यमंत्री राहत कोष के माध्यम से आर्थिक सहायता प्रदान की गई। जिन परिवारों ने अपने घर खो दिए थे, उनके लिए स्थायी आवास की व्यवस्था की जा रही है। क्षतिग्रस्त सड़क, पुल, जलापूर्ति, बिजली और संचार जैसी आधारभूत संरचनाओं की मरम्मत और पुनर्निर्माण के कार्यों को प्राथमिकता दी गई। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं की बहाली का काम भी तेज़ी से किया जा रहा है। पर्वतीय इलाकों में भूस्खलन की समस्या को ध्यान में रखते हुए नई तकनीकों का उपयोग शुरू किया गया है। मजबूत निर्माण मानकों को लागू किया गया है ताकि भविष्य में होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
सरकार का मानना है कि आपदाओं से बचाव के लिए त्वरित राहत जितनी महत्वपूर्ण है, उतनी ही अहमियत आपदा पूर्व तैयारी की भी है। इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए राज्य में अर्ली वार्निंग सिस्टम को सुदृढ़ किया गया है। संवेदनशील क्षेत्रों में ड्रोन, सैटेलाइट और रडार तकनीक के माध्यम से लगातार निगरानी रखी जा रही है। जंगल की आग को नियंत्रित करने के लिए आधुनिक उपकरण, फायर ड्रोन और गश्ती दल तैनात किए गए हैं। ष्आपदा मित्र कार्यक्रमष् के अंतर्गत युवाओं और स्वयंसेवकों को आपात स्थितियों में प्रभावी सहायता प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके अलावा, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आपदा जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि आम जनता को आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए आवश्यक जानकारी समय पर मिल सके।





