उत्तराखंडराजनीति

*हरिद्वार लोकसभा सीट पर कांग्रेस का सस्पेंस नहीं हुआ खत्म*

करन माहरा व हरीश रावत में से किस दे टिकट, उलझन में पार्टी

भाजपा ने हरिद्वार में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र पर खेला में बड़ा दाव

दुर्गेश मिश्राा
देहरादून। उत्तरप्रदेश की सीमा से सटे हरिद्वार लोकसभा सीट पर कांग्रेस से प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और पूर्व सीएम हरीश रावत में से किसे पार्टी का उम्मीदवार बनाया जाए। इसके लेकर पार्टी हाईकमान आचार संहिता लागू होने के बाद भी सुलझा नहीं सकी है। वहीं भाजपा ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपना उम्मीदवार बनाकर एडवांटेज हासिल कर लिया। इसके साथ ही भाजपा प्रत्याशी ​त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपना प्रचार की धुंआधार तरीके से शुरू कर दिया है। 20 मार्च से नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी। अब जब नामाकंन का समय भी नजदीक आ गया इसके बावजदू भी कांग्रेस हरिद्वार से अपना उम्मीदवार उतारने में क्यों कतरा रही है। जबकि हरीश रावत पूर्व में यहां से लोकसभा सांसद रहे चुके है। उनकी बेटी भी हरिद्वार जिले की एक विधानसभा क्षेत्र की विधायक है। रावत का यहां पर लोगों के बीच अच्छा खासा दबदबा भी माना जाता है। वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा भी कम लोकप्रिय नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष की​ जिम्मेदारी मिलने के बाद वह लगातार सत्ता पक्ष को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते दिखे। इसके बाद बाजवूद दो मजबूत नेता होने के बाद भी कांग्रेस इस सीट पर अपना उम्मीदवार क्यों नहीं तय कर पा रही है। यह समझ से परे है या कांग्रेस हाईकमान इन दोनों दरकिनार कर किसी नए चेहरे पर अपना दांव खेलना चाहती है। यह तो अब कांग्रेस हाईकमान ही अच्छे से समझा सकती है। वहीं खानपुर के विधायक उमेश कुमार की कांग्रेस नेता से मुलाकात के बाद राजनीति के कई माएने भी निकाले जा रहे है। बहरहाल, जिस तरह से कांग्रेस से बड़े नेताओं का छोड़ने का सिलसिला जारी है। उससे कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही है।

त्रिवेंद्र के लिए भी नहीं राह आसान
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए हरिद्वार सीट को फतह करना भी आसान नहीं होगा। जनता का क्या मूड है यह भी अभी कहना मु​श्किल है। वहीं सूत्रों की माने त्रिवेंद्र कहीं गुटबाजी के फेर न फंस जाए। दरअसल भाजपा ने पूर्व सीएम व लोकसभा सांसद रहे रमेश पोखरियाल निशंक का इस बार टिकट काट दिया जबकि ​निशंक इस बार भी टिकट के लिए अंतिम समय तक जोर लगाते रहे लेकिन भाजपा का आला नेतृत्व ने उन्हें सिरे नकार दिया।
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