उत्तराखंडश्रद्धांजलि

हरिद्वार पहुंचा महायोगी पायलट बाबा का पार्थिव शरीर

अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़, आज दी जाएगी समाधि

हरिद्वार। श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर महायोगी पायलट बाबा का पार्थिव शरीर बुधवार को हरिद्वार स्थित उनके आश्रम पहुंचा। उनके अंतिम दर्शन के लिए संत महात्मा और देश विदेश के श्रद्वालु पहुंचे हैं। बृहस्पतिवार को उत्तराधिकारी का पट्टाभिषेक कर पायलट बाबा को समाधि दी जाएगी । पायलट बाबा का मंगलवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया था। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरी महाराज के निर्देश पर जूना अखाड़े की पूरे प्रदेश में स्थित सभी शाखाओं, आश्रमों और मुख्य पीठों पर शोक सभा व शांति पाठ का आयोजन किया जा रहा है। जूना अखाड़े ने तीन दिन का शोक घोषित किया गया है। इन तीन दिनों में पायलट बाबा की आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ हवन तथा विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी।पायलट बाबा का जन्म बिहार के रोहतास जिले के सासाराम में एक राजपूत परिवार में हुआ था। इनका पुराना नाम कपिल सिंह था। बाबा ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उनका भारतीय वायु सेना में चयन हुआ। बाबा यहां विंग कमांडर के पद पर थे। बाबा 1962, 1965 और 1971 की लड़ाइयों में सेवा दे चुके हैं। इसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया।
गौर हो कि बीती रोज यानी 20 अगस्त को पायलट बाबा का मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में देहांत हो गया था। पायलट बाबा देश के बड़े संतों में शामिल थे। इसके अलावा श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर भी थे। संन्यास लेने से पहले पायलट बाबा भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर भी रहे। उन्होंने साल 1962, 1965, 1971 के युद्ध में बतौर विंग कमांडर हिस्सा लिया था। इन युद्धों में बाबा ने फाइटर पायलट की भूमिका निभाई थी।
पाकिस्तान के साथ साल 1965 और 1971 युद्ध में सफल अभियान को अंजाम दिया। जिसके बाद उन्होंने संन्यास लिया, फिर वो पायलट बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए। जबकि, उनका वास्तविक नाम कपिल सिंह था। जो मूल रूप से बिहार के रोहतास के रहने वाले थे। साल 1998 में बाबा महामंडलेश्वर पद पर आसीन हुए। उन्हें साल 2010 में उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में जूना अखाड़े का पीठाधीश्वर बनाया गया। वहीं, पायलट बाबा को लेकर कई विवाद भी हुए।
आज पायलट बाबा का पार्थिव शरीर उनके हरिद्वार स्थित आश्रम में लाया गया। इस मौके पर जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष हरि गिरि महाराज ने कहा कि महायोगी पायलट बाबा को खोना अखाड़े ही नहीं बल्कि, पूरे विश्व के लिए बड़ी क्षति है। उनके अनुयायी देश ही नहीं, बल्कि विदेशों तक थे। जिस तरह से उन्होंने सनातन का परचम पूरे देश-विदेश में लहराया था, साथ ही लोगों को अध्यात्म की राह पर ले जाने का काम किया।
उन्होंने बताया कि फिलहाल उनके शिष्यों और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर से वार्तालाप चल रहा है। अब तक जो निर्णय लिया गया है, उसके अनुसार कल गुरुवार को पायलट बाबा को उन्हीं के आश्रम में समाधि दी जाएगी। वहीं, आवाहन अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अरुण गिरि महाराज ने बताया कि जिस तरह से पायलट बाबा ने पहले देश सेवा की, फिर संन्यास लेकर सनातन का परचम लहराया। यही वजह है कि आज देश-विदेश में उनके शिष्य हैं।

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