उत्तराखंडजनहित

तीर्थयात्रियों के जीवन में मददगार बन रही महिन्द्रा की थार

केदारनाथ धाम में होती है श्रद्धालुओं को सांस लेने और सीने में दर्द की समस्या

स्वास्थ्य आपातकाल सेवा में थार वाहन निभा रहे महत्वपूर्ण भूमिका
केदारनाथ धाम पहुंचे हैं दो महिंद्रा थार वाहन,
हर दिन बीमार एवं असहाय लोगों का गाड़ी से किया जा रहा रेस्क्यू
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम की यात्रा में महिन्द्रा के दो थार वाहन महत्वपूर्ण भूूमिका निभा रहे हैं। धाम पहुंच रहे तीर्थयात्रियों का अचानक स्वास्थ्य बिगड़ने पर तीर्थयात्रियों को स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाने से लेकर उन्हें हेलीपैड तक ले जाने में थार वाहन मददगार साबित हो रहे हैं। ऐसे में तीर्थयात्रियों में भी खुशी देखने को मिल रही है और वे धाम में मिल रही सुविधाओं पर जिला प्रशासन का आभार जता रहे हैं।
केदारनाथ धाम 12 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए गौरीकुंड से 19 किमी की खड़ी चढ़ाई पार करनी होती है। अधिकांश यात्री पैदल चलकर ही धाम पहुंचते हैं, जबकि कई घोड़ा-खच्चर, डंडी-कंडी व हेली सुविधा का सहारा लेते हैं। अब तक केदारनाथ धाम की यात्रा में सात लाख तीर्थयात्री पहुंच चुके हैं और सबसे ज्यादा यात्री पैदल चलकर ही धाम पहुंचे हैैं। जो श्रद्धालु पैदल चलकर धाम पहुंचते हैं, उन्हें धाम पहुंचकर श्वांस फूलने से लेकर सीने में दर्द की शिकायतें होने लगती हैैं, जिस कारण कभी-कभार समय पर स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो जाती है। तीर्थयात्रियों की इस समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने पर्यटन विभाग के सौजन्य से केदारनाथ धाम में दो महिन्द्रा की थार पहुंचाई हैं, जिससे तीर्थयात्रियों के धाम में घायल या बीमार होने पर उन्हें तेजी से महिन्द्रा थार की मदद से स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाया जा रहा है और यहंा से रेफर किये जाने पर शीघ्रता से हेलीपैड भी पहुंचाया जा रहा है। यहां से फिर से तीर्थयात्री को एयरलिफ्ट किया जा रहा है।
डीडीएमए के सहायक अभियंता मनीष डोगरा ने बताया कि केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं की हरसंभव मदद की जा रही है। उनके लिए धाम में पहुंचाई गई महिन्द्रा के दो थार वाहन से काफी मदद मिल रही है। श्रद्धालुओं के साथ कोई आपातकाल दुर्घटना, बीमार होने, असहाय लोगों या अन्य किसी आपातकाल स्थिति होने पर त्वरित कार्रवाई की जा रही है। हर दिन आपातकाल स्थिति में इन गाड़ियों का प्रयोग किया जा रहा है। गाड़ियां पहुंचने के बाद से ऐसे रेस्क्यू अभियान सहूलियत एवं तेजी के साथ हो रहे हैं, जबकि पहले सुरक्षाबलों को किसी का स्वास्थ्य बिगड़ने पर यात्री को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी।

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