देहरादून। बसंत विहार क्षेत्र में पेड़ों को सुखाने का प्रकरण दृष्टिगोचर हुआ है, वैसे हद तो इस बात की है कि उच्च तकनीक के सीसीटीवी कैमरे होने के बाद यह सब हो रहा है, ऐेसे में प्रकृति का सर्वनाश करने की जुगत में लगे और शहरवासियों की जान जोखिम में डालने वालों के प्रति उदासीन रवैया अख्तियार करने वालों पर वन विभाग का आर्शीवाद पूर्व की भांति इस बार भी बना हुआ प्रतीत जान पड़ता है, जिससे आने वाले समय में दूनवासी अपने जीवन को बचाने की जद्दोजहद में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के बाद भी खाली हाथ ही रह जाएंगें।
हमेशा से एक बात चलन में है कि अगर हरे भरे पेड़ पर आरी चलानी हो तो उसे सूखा घोषित कर दो। उसके लिए लोग तरह तरह के हथकंडे अपनाते आए हैं, उनमें से एक हथकंडा सबसे अधिक प्रचलित है कि पेड़ को सुखाने के लिए उसकी जड़ों पर अत्यधिक नमक की मात्रा छिडकनी शुरू कर दो, जिससे पेड़ सूखने लगेगा और वन विभाग से उसको आसानी से काटने की अनुमति मिल जाएगी। इन तीन पेड़ों को देखकर कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है कि इन्होनें काटने के लिए कोई न कोई हथकंडा अपनाया गया हो, जिससे कि इनके ऊपर आरी चलाने की अनुमति आसानी से मिल जाए। गौरतलब है कि किसी जमाने में अपने प्राकृतिक स्वरूप के लिए देहरादून प्रसिद्ध था। किंतु आबादी के दबाव में इसके नैसर्गिक स्वरूप को लगातार उजाड़ने का काम किया गया। जिसके चलते आज देहरादून अपनी पहचान खो चुका है। प्रदेश की राजधानी देेहरादून में इस तरह के मामले लगातार चलन में आते रहें हैं, जिनकी सुध लेने की जहमत नहीं उठाई जा रही है और यही कारण है कि देहरादून के आमजन कल 43 डिग्री सेल्सियस के तापमान में झुलसने को मजबूर हो गए। अगर आंख मूंदने का सिलसिला ऐसे ही जारी रहा तो जल्द ही देहरादून, दिल्ली की भांति रहने के लायक न रहे और कुछ लोगों की पर्यावरण के प्रति नासमझी का खामियाजा सभी को उठाना पड़े। ऐसे में इन लोगों के विरूद्ध बुलंद करना आमजन की सामूहिक जिम्मेदारी बनती है ताकि हमारी भावी पीढ़ियां सुकून से गुजर बसर कर सकें।