भ्रष्टाचारमुम्बई

बिजली विभाग के इंजीनियर की बेहिसाब संपत्ति का पर्दाफाश!

अपने पद का इस्तेमाल निजी संपत्ति संचय में करना, राष्ट्र के साथ विश्वासघात से कम नहीं है।

सी॰ एम॰ जैन भारत में भ्रष्टाचार की कहानियों की कभी कमी नहीं रहीलेकिन कुछ मामले अपनी निडरताव्यापकता और बेशर्मी के कारण बाकियों से कहीं आगे निकल जाते हैं। डीएनएच और डीडी पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड में सहायक अभियंता के रूप में कार्यरत समीर किशोरकुमार पांड्या की कहानी ऐसा ही एक मामला है। संदिग्ध भूमि सौदों और अस्पष्ट जीवनशैली विकल्पों की अफवाहों से शुरू हुआ यह मामला समय के साथ आय से अधिक संपत्तिबेनामी लेनदेनमिलीभगत से धोखाधड़ी और सरकारी पद के दुरुपयोग की ओर इशारा करने वाले सबूतों के एक अकाट्य ढेर में बदल गया है। यह सिर्फ़ एक सरकारी कर्मचारी की कहानी नहीं हैयह उस व्यवस्था का आईना है जो अक्सर सार्वजनिक ज़िम्मेदारी वाले व्यक्तियों को चुपचाप अपनी आधिकारिक शक्ति को निजी साम्राज्यों में बदलने की अनुमति देती है।

 

1997 को विद्युत विभाग में हुई थी नियुक्ति।

 

ज्ञात हो कि समीर किशोरकुमार पंड्या 13 नवंबर 1997 को दमन और दीव विद्युत विभाग में कनिष्ठ अभियंता के रूप में सरकारी सेवा में शामिल हुए। 8 मई 1972 को जन्मेउनके करियर का पथ ऊपर से देखने पर एक सामान्य पथ पर ही चलावरिष्ठता के माध्यम से पदोन्नतिजिसकी परिणति सहायक अभियंता के रूप में उनके वर्तमान पद पर हुई। कागज़ी तौर परउनका वेतन और वैध आय उन्हें एक मध्यमवर्गीय अधिकारी के दायरे में रखती है। फिर भीजब कोई उनकी संपत्ति प्रोफ़ाइल की जाँच करता हैतो एक चौंकाने वाला अंतर दिखाई देता हैसंपत्तिज़मीनकॉर्पोरेट साझेदारियाँ और वित्तीय लेनदेन करोड़ों में हैंजो किसी भी कानूनी आय स्रोत से उचित नहीं ठहराए जा सकते।

 

परिवार के नाम पर कई बड़ी ओधोगिक इकाइयां।

 

समीर पंड्या के निकटतम परिवार में उनकी पत्नी सुमिता समीर पंड्यापुत्र वरुण और पुत्री इशानी शामिल हैं। साक्ष्य दर्शाते हैं कि सुमिता पंड्या संपत्ति और संपदा संचय में केंद्रीय भूमिका निभाती हैंऔर उनका नाम कंपनी साझेदारी और भूमि स्वामित्व अभिलेखों में बारबार दिखाई देता है। 1. आर.केपेट प्रोफाइल्स, जो भीमपुरदमण में स्थित हैजहाँ सुमिता पंड्या, केतन पंड्या के साथ साझेदार हैं। 2. मैक्स एक्सट्रूज़न्स प्राइवेट लिमिटेड, सोमनाथ दमनजहाँ वह दीपक प्रभुदास मिस्त्री के साथ साझेदार हैं। दोनों कंपनियाँ उच्च पूँजी कारोबार वाले क्षेत्रों में काम करती हैं।

 

35 करोड़ से अधिक कि संपत्ति का मालिक।

 

प्राप्त जानकारी और सत्यापित अभिलेखों के अनुसार, 2015 और 2020 के बीचपांड्या परिवार ने कुल 7,793.64 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के 22 भूखंड अर्जित किए। इसके अतिरिक्त यदि बाकी तथा कुल संपत्ति का हिसाब लगाए तो 23657 वर्ग मीटर जमीन का पता चलता है जिसमे मक़ाम, प्लॉट, कंपनियाँ आदि शामिल है, वही यदि उक्त कुल संपत्ति का आज के समय में बाजार भाव से हिसाब किया जाए तो उक्त संपत्ति आज के हिसाब से 35 करोड़ से अधिक कि है।  जो एक सहायक अभियंता की कमाई क्षमता से कहीं अधिक है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि इस आँकड़ों में संयंत्र और मशीनरीस्टॉकबैंक बैलेंससावधि जमाडीमैट खातेसोनाचाँदी या अन्य चल संपत्तियाँ शामिल नहीं हैं। पर कहानी यहीं खत्म नहीं होती।

 

सूत्रों की माने तो इसके अतिरिक्त भी कई अन्य फ्लैटबंगलेकृषि भूमि और संपत्तियां भी हो सकती हैं। केवल इतना ही नहींकई संपत्तियाँ परिवार के सदस्योंव्यावसायिक साझेदारों और संभवतः दूर के रिश्तेदारों के नाम पर भी पूर्व में हस्तांतरित भी की गई हो सकती हैं। ऐसा इस लिए क्यों की समीर पांड्या और उनकी पत्नी दोनों दमन और दीव के मूल निवासी नहीं हैंइसलिए इस बात का संदेह प्रबल है कि उनके मूल क्षेत्रों में मातापिताभाईबहनों या सहयोगियों के नाम पर महत्वपूर्ण संपत्तियाँ हो सकती हैं। और वैसे भी आम तौर पर देखा जाता है की जब भी किसी भ्रष्ट सरकारी अधिकारी के यहाँ छापेमारी होती है तो जमीन से सोना चाँदी निकलता है, नोट गिनने के लिए सरकारी जांच एजेंसियों को नोट गिनने की मशिने मंगवानी पड़ती है और बेनामी संपातियों के कागजात देखकर तो जांच करने वाले अधिकारी खुद भौचक्के रह जाते है। इस मामले में भी जांच एजेंसियों को ऐसा ही कुछ देखने को मिले मिल सकता है। बच छापा पड़ने कि देर है

 

स्पष्ट आंकड़े सामने लाने के लिए छापेमारी आवश्यक।

 

उक्त अभियंता, अभियंता के परिवार के सदस्यों और अन्य सहियोगियों ने मिलकर जनता और सरकार को कुल कितना चुना लगाया इसके स्पष्ट आंकड़े सामने लाने के लिए भी छापेमारी आवश्यक है। छापेमारी के बाद ही यह भी पता चल पाएगा कि एक कनिष्ठ अभियंता अपने वेतन से अपने परिवार के भरणपोषण, बच्चो कि पढ़ाई लिखाई जैसे आम खर्चो के बाद भी अपने परिवार को करोड़ों कि संपत्ति का मालिक बनाने में कैसे कामियाब हुआआम जनता अपनी सालो कि मेहनत और बचत के बाद एक प्लॉट नहीं ले सकती वही उक्त परिवार ने थोड़े ही समय में दर्जनों प्लॉट कैसे हंसिल किए यह एक यक्ष प्रश्न है। आँकड़ों से परेजनता के विश्वास का सिद्धांत निहित है। भ्रष्टाचार के ज़रिए गबन किया गया हर एक रुपया जनता से चोरी हैवे करदाता जो सरकारी वेतन देते हैंवे नागरिक जो विश्वसनीय बिजली और बुनियादी ढाँचे पर निर्भर हैं। बिजली विभाग के एक अधिकारीजिसका काम महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की देखरेख करना हैके लिए अपने पद का इस्तेमाल निजी संपत्ति संचय में करनाराष्ट्र के साथ विश्वासघात से कम नहीं है।

 

अस्पष्टीकृत संपत्ति स्वयं भ्रष्टाचार का सबूत।

 

भारत में आय से अधिक संपत्ति (डीएके मामलों में कई अधिकारियों को कई हाईप्रोफाइल दोषी ठहराया गया है। हर मामले मेंन्यायपालिका ने पुष्टि की है कि अस्पष्टीकृत संपत्ति स्वयं भ्रष्टाचार का सबूत है।” पांड्या मामला भी इसी श्रेणी का है – एक अंतर के साथयहाँ सबूत पहले से ही विस्तृतसमेकित और प्रस्तुत किए जा चुके हैं। अब बस त्वरित संस्थागत कार्रवाई बाकी है। उक्त मामले में यदि जल्द निर्णायक कार्रवाई न कि गई तो हो महत्वपूर्ण सबूतों का विनाश, बेनामी संपत्तियों का हस्तांतरण या बिक्री, नकद जमा राशि की निकासी, अभियुक्तों का फरार होना प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। वही कार्रवाई न करने से न केवल इस मामले को नुकसान होगा – बल्कि यह एक भयावह संदेश भी जाएगा कि शून्य सहनशीलता के राजनीतिक वादों के बावजूद भारत में भ्रष्टाचार अभी भी फलफूल रहा है।

 

समीर किशोरकुमार पांड्या का मामला एक साधारण भ्रष्टाचार का मामला नहीं है। यह भ्रष्टाचार से लड़ने के भारत के संकल्प की एक अग्निपरीक्षा है। अगर मध्यम स्तर के अधिकारी बिना किसी रोकटोक के करोड़ों की संपत्ति जमा कर सकते हैंतो आम नागरिक इसे किस दृष्टिकोण से देखेगा यह तो स्वय प्रशासन को सोचना चाहिए। इसलिए उक्त मामले में तत्काल सीबीआईईडी और सभी सतर्कता एजेंसियों को तत्परतापारदर्शिता और दृढ़ता के साथ तत्काल कठोर से कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। इस मामले में न्याय में देरीन्याय से इनकार नहीं – बल्कि न्याय का मज़ाक उड़ाना होगा कुल मिलकर अंत में यह कह सकते है कि उक्त मामले में ऐसा कुछ होजो एक बार फिर साबित करे कि आज के भारत मेंकोई भी अधिकारी कानून से बड़ा नहीं है।

 

 

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