उत्तराखंडऊर्जा विभाग

शासन ने 6 महीने तक ऊर्जा निगम के कर्मचारियों की हड़ताल पर लगाई रोक

हड़ताल पर लगाई रोक

सचिव ऊर्जा ने जारी किए आदेश
देहरादून। उत्तराखंड में ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों को हड़ताल करने की इजाजत नहीं होगी। उत्तराखंड शासन ने प्रदेश के ऊर्जा कर्मचारियों के लिए आदेश जारी करते हुए अगले 6 महीनों में हड़ताल पर रोक लगा दी है। खास बात यह है कि ऊर्जा कर्मचारी हड़ताल पर ना जाए, इसके लिए शासन की तरफ से समय-समय पर कई बार आदेश जारी हो चुके हैं।
प्रदेश में ऊर्जा कर्मचारी अगले 6 महीने तक हड़ताल नहीं कर सकेंगे। सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम ने इसके लिए आदेश जारी किया है। दरअसल, ऊर्जा निगम अति आवश्यक सेवाओं में शामिल है, ऐसे में निगमों में कर्मचारी हड़ताल न कर सके इसके लिए प्रबंधन और शासन स्तर पर भी लगातार प्रयास किए जाते हैं। खास बात यह है कि समय-समय पर कर्मचारियों की हड़ताल को प्रतिबंधित करने के लिए आदेश भी किए जाते रहे हैं। इस बार फिर से उत्तराखंड शासन ने ऊर्जा निगमों में हड़ताल पर रोक से संबंधित आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार ऊर्जा निगमों के कर्मचारी अपनी मांगों या दूसरी वजह से अगले 6 महीने तक हड़ताल को लेकर प्रतिबंधित रहेंगे।
उत्तराखंड में ऊर्जा को लेकर लगातार संकट बना रहता है, खासकर गर्मियों के समय बिजली की कमी के चलते ऊर्जा निगम खासी परेशानी में दिखता है। यह स्थिति तब रहती है जब केंद्र से लेकर बाजार से भी कमी के कारण हर दिन बिजली खरीदनी पड़ती है। हालांकि मानसून आने के साथ ही बिजली की डिमांड कम हुई है। लेकिन मानसून के दिनों में नदियों में सिल्ट आने से उत्पादन भी कम होता है। जाहिर है कि बिजली को लेकर परेशानियों को देखते हुए शासन ने 6 महीने के लिए हड़ताल पर रोक लगा दी है। शासन का यह आदेश उत्तराखंड जल विद्युत निगम, उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड और पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड तीनों ही निगमों पर लागू होंगे।
दरअसल प्रदेश में ऊर्जा निगम के कर्मचारियों की ऐसी कई मांगें हैं जिसको लेकर समय-समय पर उनके द्वारा विरोध किया जाता रहा है। यही नहीं ऊर्जा निगम के इंजीनियर और कर्मचारी संगठन ऐसी मांगों पर हड़ताल करने तक की भी चेतावनी देते रहे हैं। शायद यही कारण है कि सरकार फिलहाल बिजली की कमी के बीच हड़ताल की स्थिति को पैदा नहीं होने देना चाहती। इसलिए इस तरह का आदेश जारी किया गया है। उधर दूसरी तरफ कर्मचारी संगठन भी सरकार के इन आदेशों के दबाव में दिखाई देते हैं।

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