नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले में ‘निष्क्रियता’ के लिए उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण को फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि प्राधिकरण ने श्सबकुछ खत्म करने की कोशिश की। कोर्ट बाबा रामदेव-प्रवर्तित कंपनी की भी खिंचाई की और कहा कि वह उसके आदेशों का ‘पालन नहीं’ कर रही है।
जब अदालत ने मूल रिकॉर्ड मांगे तो पतंजलि ने सार्वजनिक माफी की एक ई-प्रति पेश की। जवाब में पीठ ने कहा कि यह अनुपालन नहीं है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि मैं इस मामले में अपने हाथ खड़े कर रही हूं, हमारे आदेशों का अनुपालन न करना बहुत हो गया।
अदालत ने पतंजलि को प्रत्येक समाचार पत्र के मूल पृष्ठ को दाखिल करने का ‘एक और अवसर’ दिया, जिसमें माफी जारी की गई थी। हालांकि, पीठ ने कहा कि उल्लेखनीय सुधार हुआ है। न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा कि पहले केवल पतंजलि थी, अब नाम हैं। हम इसकी सराहना करते हैं। वे समझ गए हैं। बता दें कि शुरुआती माफीनामा छोटा होने के बाद कोर्ट ने कंपनी से दोबारा माफीनामा जारी करने को कहा था।
बाबा रामदेव और पतंजलि के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण दोनों को सुनवाई की अगली तारीख 7 मई को शीर्ष अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी गई है। उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने अदालत को सूचित किया कि पतंजलि और उसकी सहयोगी कंपनी दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस 15 अप्रैल को ‘तत्काल प्रभाव’से निलंबित कर दिए गए थे।
इसके जवाब में, शीर्ष अदालत ने कार्रवाई करने में देरी पर सवाल उठाया और कहा कि प्राधिकरण अब ‘नींद से जाग गया है’। उन्होंने कहा कि एक बार जब आप कुछ करना चाहते हैं, तो आप इसे बिजली की गति से करते हैं, लेकिन यदि आप नहीं करते हैं, तो वर्षों तक कुछ भी नहीं होता है। तीन दिनों में, आपने सारी कार्रवाई कर दी है। आप पिछले नौ महीनों से क्या कर रहे थे कार्यभार संभालने के बाद से, आखिरकार, आपको एहसास हुआ कि आपके पास शक्ति और जिम्मेदारियां हैं, आप आखिरकार नींद से जाग गए हैं।
कोर्ट ने कहा कि लाइसेंसिंग प्राधिकारी ने प्रस्तुत किया कि सतर्क जांच रखी गई थी। आपने सब कुछ धोने की कोशिश की है। क्या यह सतर्कता है? हमने आपको सावधान रहने के लिए कहा था। आप खुद को प्रमाणपत्र दे रहे हैं। जस्टिस कोहली ने कहा कि आपको सावधानी से चलना था। क्या आप यह कह सकते हैं कि आप सतर्क थे?
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा कोविड टीकाकरण अभियान और चिकित्सा की आधुनिक प्रणालियों के खिलाफ बदनामी का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पतंजलि आयुर्वेद से सार्वजनिक माफी प्रकाशित करने को कहा था। इसके बाद, कंपनी ने 67 अखबारों में अयोग्य सार्वजनिक माफी जारी की। हालांकि, अदालत ने कंपनी को अपने विज्ञापनों के आकार के बराबर एक नया ‘प्रमुख’ माफीनामा जारी करने के लिए कहा, और पतंजलि ने एक बड़ा माफीनामा प्रकाशित किया। कंपनी ने पिछली सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत के समक्ष माफी भी मांगी थी।